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Hindi

मनीषा जैन की रचनाएँ

भेद रहा है चक्रव्यूह रोज वह ढ़ोता रहा दिनभर पीठ पर तारों के बड़ल जैसे कोल्हू का बैल होती रही छमाछम बारिश दिन भर टपकता… Read More »मनीषा जैन की रचनाएँ

मनीषा कुलश्रेष्ठ की रचनाएँ

सादा दिल औरत के जटिल सपने लोग कहते थे वह एक सादा दिल भावुक औरत थी मिजाज – लहजे ढब और चाल से रफ्तार ओ… Read More »मनीषा कुलश्रेष्ठ की रचनाएँ

मनीष मूंदड़ा की रचनाएँ

प्रेरणा जीवन के इस प्रवाह में प्रेरणा का अभाव-सा है वैसे तो जीने के लिए निरंतर चल रही है साँसे पर मानो इस जीवन में… Read More »मनीष मूंदड़ा की रचनाएँ

मनीष मिश्र की रचनाएँ

  डायरी के फटे पन्नों में डायरी के फाड़ दिए गए पन्नों में भी साँस ले रही होती हैं अधबनी कविताएँ फड़फड़ाते हैं कई शब्द… Read More »मनीष मिश्र की रचनाएँ

मनीष कुमार झा की रचनाएँ

प्रेम बाँधो नहीं प्रेम शब्दों में प्रेम खुला स्वर, लय है प्रेम साधना की वेदी है प्रेम भक्ति है, पूजा है प्रेम चंद्र की शुभ्र… Read More »मनीष कुमार झा की रचनाएँ

मनविंदर भिम्बर की रचनाएँ

ज़िंदगी रख के भूल गई है मुझे ज़िंदगी रख के भूल गई है मुझे और मैं ज़िंदगी के लिए ब्रह्मी बूटी खोज रही हूँ मिले… Read More »मनविंदर भिम्बर की रचनाएँ

मनमोहन की रचनाएँ

शर्मनाक समय कैसा शर्मनाक समय है जीवित मित्र मिलता है तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति उपस्थित रहती है और उस स्मृति के प्रति बची खुची… Read More »मनमोहन की रचनाएँ

मनमोहन ‘तल्ख़’की रचनाएँ

आएँ आँसू अगर आँखों में तो बस पी जाएँ ‎ आएँ आँसू अगर आँखों में तो बस पी जाएँ हाल सब पूछते हैं हम न… Read More »मनमोहन ‘तल्ख़’की रचनाएँ

मधुसूदन साहा की रचनाएँ

मुर्गा मामा मुर्गा मामा, मुर्गा मामा भोरे-भोरे जगावै छौ जखनी नीन सतावै छै तखनी बाँग लगावै छौ सूरज के उठला सें पहिनें पूरब के जगला… Read More »मधुसूदन साहा की रचनाएँ