रमेश नीलकमल की रचनाएँ
हो वसन्त! अँखियन में लउकता बबूल हो वसन्त! जनि अइहऽ गाँव का सिवाना पर। अभिये नू खेत के फसल हरियर पाला से सहमल झऊँसाइल बा,… Read More »रमेश नीलकमल की रचनाएँ
हो वसन्त! अँखियन में लउकता बबूल हो वसन्त! जनि अइहऽ गाँव का सिवाना पर। अभिये नू खेत के फसल हरियर पाला से सहमल झऊँसाइल बा,… Read More »रमेश नीलकमल की रचनाएँ
महाश्वेता क्या लिखती हैं महाश्वेवता गल्प नहीं लिखतीं । महाश्वेता रचती हैं आदिम समाज की करुणा का महासंगीत । वृक्षों की, वनचरों की, लोक की… Read More »रमेश तैलंग की रचनाएँ
इक चमकते हुए अहसास की जौदत हूँ मैं इक चमकते हुए अहसास की जौदत हूँ मैं देख ले जो पसे-पर्दा वो बसीरत हूँ मैं। ऐ… Read More »रमेश तन्हा की रचनाएँ
बसी हैं नागफनियाँ अब कहाँ वे फूल गमलों में लगी हैं नागफनियाँ ! मन हुआ जंगल सभी कुछ बेतरह बिखरा लग रहा चेहरा नदी का इन… Read More »रमेश चंद्र पंत की रचनाएँ
तेरे बिन जैसे सूखा ताल बचा रहे या कुछ कंकड़ या कुछ काई जैसे धूल भरे मेले में चलने लगे साथ तन्हाई, तेरे बिन मेरे… Read More »रमेश गौड़ की रचनाएँ
भीतर-बाहर आदमी के भीतर एक आदमी है आदमी के बाहर एक आदमी है भीतर का आदमी जब बाहर आता है बाहर के आदमी से तुरन्त… Read More »रमेश कौशिक की रचनाएँ
रायपुर में मुक्तिबोध के घर जाने पर सूरज का सोंधा भुना लालारुख कछुवा बिंधा भिलाई की चिमनियों से जलते-पकते कत्थई हो जाएगा अभी आगे राजनंदगाँव… Read More »रमेश कुंतल मेघ की रचनाएँ
जुनूं हूँ, आशिकी हूँ जुनूं हूं, आशिक़ी हूं बशर हूं, बंदगी हूं ब-ज़ाहिर बेरुखी हूं वफ़ा की बेबसी हूं गुलों की ताज़गी हूं मैं शबनम… Read More »रमेश ‘कँवल’की रचनाएँ
पहाड़ अब भी बूढ़े थे शहर से हलकान सुकून के लिए परेशान बना फिर फार्महाउस अपमानित हुए गांव के लोग। बहुरंगी परिवेश की तलाश में… Read More »रमेश आज़ाद की रचनाएँ
इहवइ धरतिया हमार महतरिया अमवा इमिलिया महुवआ की छइयाँ जेठ बैसखवा बिरमइ दुपहरिया धान कइ कटोरा मोरी अवध कइ जमिनिया धरती अगोरइ मोरी बरख बदरिया… Read More »रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ की रचनाएँ