बिन्दु जी की रचनाएँ
हे दयामय दीन पालक अज विमल निष्काम हो हे दयामय दीन पालक अज विमल निष्काम हो। जगतपति जग व्याप्त जगदाधार जग विश्राम हो। दिवस-निशि जिसकी… Read More »बिन्दु जी की रचनाएँ
हे दयामय दीन पालक अज विमल निष्काम हो हे दयामय दीन पालक अज विमल निष्काम हो। जगतपति जग व्याप्त जगदाधार जग विश्राम हो। दिवस-निशि जिसकी… Read More »बिन्दु जी की रचनाएँ
ज़िन्दगी क्रम जो काम किया, वह काम नहीं आएगा इतिहास हमारा नाम नहीं दोहराएगा जब से सुरों को बेच ख़रीदी सुविधा तब से ही मन… Read More »बालस्वरूप राही की रचनाएँ
रेलगाड़ी हिस-हिस हिस-हिस हिस-हिस करती, रेल धड़ाधड़ जाती है, जिन जंजीरों से जकड़ी है, उन्हें खूब खुड़काती है। दोनों ओर दूर से दुनिया देख रही… Read More »बालमुकुंद गुप्त की रचनाएँ
विप्लव गायन कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए, एक हिलोर इधर से आए, एक हिलोर उधर से आए, प्राणों के लाले पड़… Read More »बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ की रचनाएँ
गरमियों की शाम आँधियों ही आँधियों में उड़ गया यह जेठ का जलता हुआ दिन, मुड़ गया किस ओर, कब सूरज सुबह का गदर की… Read More »बालकृष्ण राव की रचनाएँ
कानाबाती कुर्र मेढक बोले टर्र, बर्राती है बर्र । जूता बोले चर्र, मोटर चलती घर्र । मम्मी सोतीं खर्र, पापा जाते डर्र । चिड़िया उडती… Read More »बालकृष्ण गर्ग की रचनाएँ
शिशुओं के लिए पाँच कविताएँ-1 1. तितली करती ताथा थैया, भँवरा करता गुन गुन गुन । खिलकर हँसते फूल हमेशा, कलियाँ कहतीं हमे न चुन… Read More »बालकवि बैरागी की रचनाएँ
हिसाब बराबरी का ज़माना मेरी नज़र से गुजरा, मैं ज़माने में मगर अछूत रहा, अपने ही घराने में हजारों साल से, कुछ लोगों ने मिटाना… Read More »बाल गंगाधर ‘बागी’की रचनाएँ
फूलों का संसार बड़े सवेरे जब खिलते बेला, गुलाब, कचनार, मुझे बहुत प्यारा तब लगता फूलों का संसार! गेंदा, चंपा और चमेली महकी-महकी हैं अलबेली,… Read More »बाबूलाल शर्मा ‘प्रेम’की रचनाएँ
तुम्हारे नाम तुम्हारी अर्चना कर सकूँ तुम्हारी वन्दना कर सकूँ ऐसा कोई विश्वास तो तुमने दिया नहीं! अपनी वंशावली और भौगोलिक सीमा-सुरक्षा का ध्यान रखकर… Read More »बाबूलाल मधुकर की रचनाएँ