गिरधारी सिंह गहलोत की रचनाएँ
आदमी के पास हो दौलत नहीं आराम है आदमी के पास हो दौलत नहीं आराम है ज़िंदगी में कुछ नहीं फिर ज़िंदगी नाकाम है। वक़्त… Read More »गिरधारी सिंह गहलोत की रचनाएँ
आदमी के पास हो दौलत नहीं आराम है आदमी के पास हो दौलत नहीं आराम है ज़िंदगी में कुछ नहीं फिर ज़िंदगी नाकाम है। वक़्त… Read More »गिरधारी सिंह गहलोत की रचनाएँ
लेकिन कहाँ है जवाब? बातें बेलाग हैं सवाल दो-टूक– कटे हुए जंगल जलती हुई औरतें ख़ाक छानते बच्चे लुरियाते जवाँ-मर्द… रंग हैं पहचाने रौशनी अधुंधली–… Read More »गिरधर राठी की रचनाएँ
असभ्य आदिम गीत देह की सुडौल भाषा और रूप की जादुई लिपि के इलाके में आज भी पुश्तैनी बाशिन्दे की तरह दर्ज़ है उसकी उपस्थिति… Read More »विजय बहादुर सिंह की रचनाएँ
शरद की हवा शरद की हवा ये रंग लाती है, द्वार-द्वार, कुंज-कुंज गाती है। फूलों की गंध-गंध घाटी में बहक-बहक उठता अल्हड़ हिया हर लता… Read More »गिरधर गोपाल की रचनाएँ
अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना तूती को शश जिहत से मुक़ाबिल है आइना अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ ये न… Read More »ग़ालिब की रचनाएँ
बारिश में भीगती लड़की को देखने के बाद एक झमाझम पड़ती वर्षा की मोटी धारों के बीच लड़की चुपचाप सिर पर छाता ताने चलती है… Read More »विजय गौड़ की रचनाएँ
मुर्दा नम्बर बहुत कोशिशें कीं नहीं सुन सका टूटी हुई सिलाई वाली क़िताब के पन्नों में जैसे-तैसे अटके धागों की पुकार; समझ ही नहीं सका… Read More »विजय गुप्त की रचनाएँ
बस तेरे लिए उदास आँखें बस तेरे लिए उदास आँखें उफ़ मस्लहत ना-शनास आँखें बे-नूर हुई हैं धीरे धीरे आईं नहीं मुझ को रास आँखें… Read More »ग़ालिब अयाज़ की रचनाएँ
जिन दिनों बरसता है पानी अरे वर्ष के हर्ष बरस तू बरस बरस रसधार – निराला जिन दिनों इस शहर में बरसता है पानी मंद… Read More »विजय कुमार की रचनाएँ
प्रिये तुम्हारी आँखों ने प्रिये तुम्हारी आँखों ने कल दिल का हर पन्ना खोला था दिल से दिल के संदेशे सब होठों से तुमने लौटाये… Read More »गरिमा सक्सेना की रचनाएँ