जमुना प्रसाद ‘राही’ की रचनाएँ
दयार-ए-संग में रह कर भी शीशा-गर था मैं दयार-ए-संग में रह कर भी शीशा-गर था मैं ज़माना चीख़ रहा था के बे-ख़बर था मैं लगी… Read More »जमुना प्रसाद ‘राही’ की रचनाएँ
दयार-ए-संग में रह कर भी शीशा-गर था मैं दयार-ए-संग में रह कर भी शीशा-गर था मैं ज़माना चीख़ रहा था के बे-ख़बर था मैं लगी… Read More »जमुना प्रसाद ‘राही’ की रचनाएँ