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शहरयार

शहरयार की रचनाएँ

क़िस्सा मिरे जुनूँ का बहुत याद आएगा  क़िस्सा मिरे जुनूँ का बहुत याद आएगा जब-जब कोई चिराग हवा में जलाएगा रातों को जागते हैं,इसी वास्ते… Read More »शहरयार की रचनाएँ

शहरयार की रचनाएँ

ख़्वाब का दर बंद है  मेरे लिए रात ने आज फ़राहम किया एक नया मर्हला । नींदों ने ख़ाली किया अश्कों से फ़िर भर दिया… Read More »शहरयार की रचनाएँ