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गिरीश पंकज की रचनाएँ

माँ सरस्वती जय, जय, जय हे माँ सरस्वती, तुमको आज निहार रहा हूँ । अपने हाथ पसार रहा हूँ ।। ज्ञान-शून्य हो भटक रहा हूँ,… Read More »गिरीश पंकज की रचनाएँ

गिरिराज कुवँरि की रचनाएँ

पद / 1 अद्भुत रचाय दियो खेल देखो अलबेली की बतियाँ। कहुँ जल कहुँ थल गिरि कहूँ कहूँ कहूँ वृक्ष कहूँ बेल॥ कहूँ नाश दिखराय… Read More »गिरिराज कुवँरि की रचनाएँ

विजयदेव नारायण साही की रचनाएँ

चमत्कार की प्रतीक्षा  क्या अब भी कोई चमत्कार घटित होगा ? जैसे कि ऊपर से गुजरती हुई हवा तुम्हारे सामने साकार खड़ी हो जाए और तुम्हारा… Read More »विजयदेव नारायण साही की रचनाएँ

विजयदान देथा ‘बिज्‍जी’ की रचनाएँ

मेरे रोम—रोम में ऊषा छाई ! मेरे रोम-रोम में ऊषा छाई! सकल विश्व देखा करता है असीम अम्बर के मानस पर छाकर रजनी की श्यामल… Read More »विजयदान देथा ‘बिज्‍जी’ की रचनाएँ

विजय सिंह की रचनाएँ

डोकरी फूलो धूप हो या बरसात ठण्ड हो या लू मुड़ में टुकनी उठाए नंगे पाँव आती है दूर गाँव से शहर दोना-पत्तल बेचने वाली… Read More »विजय सिंह की रचनाएँ

विजय वाते की रचनाएँ

उसको धोखा कभी हुआ ही नहीं उसको धोखा कभी हुआ ही नहीं । उसकी दुनिया में आईना ही नहीं । उसकी आंखों में ये धनक… Read More »विजय वाते की रचनाएँ

गिरिराज किराडू की रचनाएँ

सुखांत तुम यही करोगे अंत में मुझे दंड ख़ुद को पुरस्कार दोगे किंतु तुम्हारा किया यह अंत सिर्फ़ एक विरामचिन्ह है दिशासूचक केवल मील का… Read More »गिरिराज किराडू की रचनाएँ

गिरिराजशरण अग्रवाल की रचनाएँ

आकांक्षा  मैं तुम्हारी आँखों में झाँकूँ और झाँकता ही रहूँ । मैं तुम्हारी आँखों की गहराई नापूँ और नापता ही रहूँ । तुम्हारे आकाश को… Read More »गिरिराजशरण अग्रवाल की रचनाएँ

विजय राही की रचनाएँ

प्रेम बहुत मासूम होता है  प्रेम बहुत मासूम होता है यह होता है बिल्कुल उस बच्चे की तरह टूटा है जिसका दूध का एक दाँत… Read More »विजय राही की रचनाएँ

गिरिधर की रचनाएँ

लाठी में गुण बहुत हैं  लाठी में हैं गुण बहुत, सदा रखिये संग। गहरि नदी, नाली जहाँ, तहाँ बचावै अंग।। तहाँ बचावै अंग, झपटि कुत्ता… Read More »गिरिधर की रचनाएँ