अश्वनी शर्मा की रचनाएँ
रिश्ता और रेगिस्तान रिश्ता एक खेजड़ी है जो चाहे छांग दी जाये कितनी बार पनप आती है हर बार दुगुने जोश से पनप जाता है… Read More »अश्वनी शर्मा की रचनाएँ
रिश्ता और रेगिस्तान रिश्ता एक खेजड़ी है जो चाहे छांग दी जाये कितनी बार पनप आती है हर बार दुगुने जोश से पनप जाता है… Read More »अश्वनी शर्मा की रचनाएँ
भीड़ भरे बाज़ारों में भीड़ भरे इन बाजारों में दुविधाओं के अंबारों में खुद ही खुद को खोज रहे हम। लिए उसूलों की इक गठरी… Read More »अश्वघोष की रचनाएँ
बीते साल बीते साल मुझे बतला दे, कितना तुमने दिया धरा को और कहाँ क्या-क्या खोया है? मैंने माँगी अच्छी पोथी, तुमने ला दीं सात… Read More »अशोकरंजन सक्सेना की रचनाएँ
सब-कुछ तय कर लिया जाएगा तय करने से पहले सब तय है कि सब-कुछ तय कर लिया जाएगा तय करने से पहले तय कर लिया… Read More »अशोक सिंह की रचनाएँ
चाँद और सूरज दोनों में ग्रहण चाँद और सूरज दोनों में ग्रहण-जैसा काला कलंक है समलैंगिकता। दुनिया में कुशाग्र बुद्धि और हृदयवान जाति के नर-मादाओं… Read More »संतलाल करुण की रचनाएँ
अन्नू का तोता ‘बाबा, बाबा’ बोला पोता, ‘लाल, दुलारे तू क्यों रोता?’ ‘ला दो पिंजला, ला दो तोता बला नहीं, बछ छोता-छोता।’ अन्नू जी ने… Read More »संत कुमार टंडन ‘रसिक’ की रचनाएँ
नमक बादलों धैर्य मत खोना अभी मेरे होंठों में नमी बरकरार है उमड़ते-घुमड़ते गरज़ते और दौड़ते रहना आँखों में झलक रहा है पानी अभी खाया… Read More »संज्ञा सिंह की रचनाएँ
अब्र ने चाँद की हिफ़ाजत की अब्र ने चाँद की हिफ़ाजत की चाँद ने खुद भी खूब हिम्मत की आज दरिया बहुत उदास लगा एक… Read More »संजू शब्दिता की रचनाएँ
पहले एक घर थी धरती मकान सभ्यता की पूर्ण विराम की तरह गड़ें है धरती की छाती में आदमी जब से पैदा हुआ आदमी के… Read More »अशोक शाह की रचनाएँ
लड़कियाँ लड़कियाँबड़ा अच्छा लगता हैजब लदअकियाँ स्वप्न देखती हैंउनके ख़्वाब होते हैं उन्हीं की तरहरेशमी, मुलायम और महीन. स्वप्न देखती लड़कियों के पुरख़ुलूस चेहरोंपर हो… Read More »संजीव सूरी की रचनाएँ