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बाबू महेश नारायण की रचनाएँ

थी अन्धेरी रात, और सुनसान था थी अन्धेरी रात और सुन्सान था, और फैला दूर तक मैदान था; जंगल भी वहाँ था, जनवर का गुमाँ… Read More »बाबू महेश नारायण की रचनाएँ

बाबुषा कोहली की रचनाएँ

चार तिलों की चाहत और एक बिन्दी लाल ये किसकी इच्छा के अश्रु हैं जो इस गोरी देह पर निर्लज्जता से जमे हुए काले पड़… Read More »बाबुषा कोहली की रचनाएँ

बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि की रचनाएँ

पद / 1 क्यों बृथा दोष पिया को लगावत। तो हित चन्द्रमुखी चातक बनि परसन कूँ नित चाहत॥ हैं बहु नारि रसीली ब्रज में वातो… Read More »बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि की रचनाएँ

बाक़ी सिद्दीक़ी की रचनाएँ

अपनी धूप मे भी कुछ जल अपनी धूप मे भी कुछ जल हर साए के साथ न ढल लफ़्ज़ों के फूलों पे न जा देख… Read More »बाक़ी सिद्दीक़ी की रचनाएँ

‘बाकर’ मेंहदी की रचनाएँ

अब ख़ानमाँ-ख़राब की मंज़िल यहाँ नहीं ‎ अब ख़ानमाँ-ख़राब की मंज़िल यहाँ नहीं कहने को आशियाँ है मगर आशियाँ नहीं इश्‍क़-ए-सितम-नवाज़ की दुनिया बदल गई… Read More »‘बाकर’ मेंहदी की रचनाएँ

बाक़र आग़ा वेलोरी की रचनाएँ

अगरचे दिल को ले साथ अपने आया अश्क मिरा अगरचे दिल को ले साथ अपने आया अश्क मिरा निगाह में तिरी हरगिज़ न भाया अश्क… Read More »बाक़र आग़ा वेलोरी की रचनाएँ

बहिणाबाई की रचनाएँ

ये गोकुल चल हो ये गोकुल चल हो कहत मुरारी। मेघ तुसार निवारे फनिधर सेवा करे बलिहारी॥ बसुवा अपने कर दीन्हो पालख योंही कीन्हो जमुना… Read More »बहिणाबाई की रचनाएँ

बहादुर शाह ज़फ़र की रचनाएँ

पसे-मर्ग मेरे मजार पर पसे-मर्ग मेरी मजार पर जो दिया किसी ने जला दिया । उसे आह! दामन-ए-बाद ने सरेशाम ही से बुझा दिया ।।… Read More »बहादुर शाह ज़फ़र की रचनाएँ

बहादुर पटेल की रचनाएँ

शब्द हमारे पास शब्दों की कमी बहुत यही वज़ह है कि बचा नहीं सकते कुछ भी ऎसा कि जैसे चिड़िया की चहचहाहट सब कुछ होते… Read More »बहादुर पटेल की रचनाएँ

बहज़ाद लखनवी की रचनाएँ

ऐ जज़्ब-ए-दिल गर मैं चाहूँ ऐ जज़्ब-ए-दिल गर मैं चाहूँ हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए मंज़िल के लिए दो गाम चलूँ और सामने मंज़िल आ… Read More »बहज़ाद लखनवी की रचनाएँ