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Languagewise

जमाल एहसानी की रचनाएँ

बिखर गया है जो मोती पिरोने वाला था बिखर गया है जो मोती पिरोने वाला था वो हो रहा है यहाँ जो न होने वाला… Read More »जमाल एहसानी की रचनाएँ

जंगवीर सिंह ‘राकेश’की रचनाएँ

‘. . . जीत जाओगे एक दिन !!’ अगर तुम बारीकियों को पकड़ रहे हो तो सीख जाओगे एक दिन !! हौसले से मंजिल पर बढ़… Read More »जंगवीर सिंह ‘राकेश’की रचनाएँ

जतिन्दर परवाज़ की रचनाएँ

आँखें पलकें गाल भिगोना ठीक नहीं आँखें पलकें गाल भिगोना ठीक नहीं छोटी-मोटी बात पे रोना ठीक नहीं गुमसुम तन्हा क्यों बैठे हो सब पूछें… Read More »जतिन्दर परवाज़ की रचनाएँ

जगन्नाथप्रसाद ‘मिलिंद’की रचनाएँ

उगता राष्ट्र मेरे किशोर, मेरे कुमार! अग्निस्फुलिंग, विद्युत् के कण, तुम तेज पुंज, तुम निर्विषाद, तुम ज्वालागिरि के प्रखर स्रोत, तुम चकाचौंध, तुम वज्रनाद, तुम… Read More »जगन्नाथप्रसाद ‘मिलिंद’की रचनाएँ

जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’की रचनाएँ

गोकुल की गैल, गैल गैल ग्वालिन की गोकुल की गैल, गैल गैल ग्वालिन की, गोरस कैं काज लाज-बस कै बहाइबो। कहै ‘रतनाकर’ रिझाइबो नवेलिनि को,… Read More »जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’की रचनाएँ

जगन्नाथ त्रिपाठी की रचनाएँ

चर्चा-परिचर्चा में चर्चा-परिचर्चा में हर क्षण ओरिजनल्टी-नावेल्टी की दुहाई दिया करते है। अपने थोथे पन को नवीन अर्थवृत्तों में वलयित किया करते हैं। और, इन… Read More »जगन्नाथ त्रिपाठी की रचनाएँ

जगन्नाथ आज़ाद की रचनाएँ

भारत के मुसलमां इस दौर में तू क्यों है परेशां व हेरासां भारत का तू फ़रज़ंद है बेगाना नहीं है क्या बात है क्यों है… Read More »जगन्नाथ आज़ाद की रचनाएँ

जगदीश व्योम की रचनाएँ

अपने घर के लोग औरों की भर रहे तिजोरी अपने घर के लोग सच कहना तो ठीक मगर इतना सच नहीं कहो जैसे सहती रहीं… Read More »जगदीश व्योम की रचनाएँ

जगदीश रावतानी आनंदम की रचनाएँ

कुदरत का ये करिशमा भी क्या बेमिसाल है कुदरत का ये करिशमा भी क्या बेमिसाल है चेहरे सफेद काले लहू सब का लाल है हिन्दू… Read More »जगदीश रावतानी आनंदम की रचनाएँ

जगदीश पंकज की रचनाएँ

आज अपना दर्द हम किसको सुनाएँ आज अपना दर्द हम किसको सुनाएँ पल रही सबके दिलों में वेदनाएँ पुस्तकों से बन्द होते जा रहे हैं… Read More »जगदीश पंकज की रचनाएँ