महेश सन्तोषी की रचनाएँ
इन्कलाब के मायने तक भूल गये लोग किधर गयीं वे बस्तियाँ, वे शहर, वे लोग? अब तो इन्कलाब के माइने तक भूल गये लोग? ये… Read More »महेश सन्तोषी की रचनाएँ
इन्कलाब के मायने तक भूल गये लोग किधर गयीं वे बस्तियाँ, वे शहर, वे लोग? अब तो इन्कलाब के माइने तक भूल गये लोग? ये… Read More »महेश सन्तोषी की रचनाएँ
भाषा मैंने भोंकने वाले जानवरों की भाषा में एक ही लय देखी है। और देखा है चिन्तकों को मूक भाषा में बातें करते। मैंने घरों… Read More »महेश सन्तुष्टकी रचनाएँ
चेहरा पता नहीं तुम कितने अन्तिम संस्कारों में शामिल हुए कितनी लाशें देखी लेकिन फिर ज़ोर देता हॅूँ इस पर कि मृत्यु इंसान का चेहरा… Read More »महेश वर्मा की रचनाएँ
दोहे-1 बँटवारे का मामला, पहुँचा जब तहसील। अपने से लगने लगे, मुंशी और वकील॥ संगत पर मुझको दिखा, जब दुनियावी रंग। मैं दुनिया में आ… Read More »महेश मनमीत की रचनाएँ
ट्राइबल हेरिटेज म्यूजियम वहाँ नहीं है कोई राजा-रानी का रंगमहल जादुई आईना रत्न जड़ित राजसिंहासन पालना न कोई भारी-भरकम तलवार-ठाल-बरछी न बन्दूक-तोप-बख़्तरबन्द न किसी राजा… Read More »महेश चंद्र पुनेठा की रचनाएँ
फ़ाएदा क्या तुम्हें सुनाने का फ़ाएदा क्या तुम्हें सुनाने का मौत उनवाँ है इस फ़साने का हम भी अपने नहीं रहे ऐ दिल किस… Read More »महेश चंद्र ‘नक्श’की रचनाएँ
अन्यों से विशेष मैं अन्यों से विशेष हूं? मैं जानता हूं कि जिस दिन मैं इस संसार में जन्मा था, वह न तो कोई दिवस-विशेष… Read More »महेश चंद्र द्विवेदी की रचनाएँ
गीत अब बदलाव के हम साथ मिलकर गाएँगे गीत अब बदलाव के हम साथ मिलकर गाएँगे । चल पड़े हम लोग तो कुछ और भी… Read More »महेश कटारे सुगम की रचनाएँ
साँध्य-गीत टूट गई धूप की नसैनी तुलसी के तले दिया धर कर एक थकन सो गई पसर कर दीपक की ज्योति लगी छैनी आँगन में… Read More »महेश उपाध्याय की रचनाएँ
यहीं एक प्यास थी, जो खो गई है यहीं एक प्यास थी, जो खो गई है नदी यह सुन के पागल हो गई है जो… Read More »महेश अश्क की रचनाएँ