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महाराज कृष्ण सन्तोषी की रचनाएँ

व्यथा अभी भी ज़िन्दा है मेरे भीतर गुरिल्ला छापामार बेहतर दुनिया के लिए लड़ने को तैयार पर एक कायर से उसकी दोस्ती है जो उसे… Read More »महाराज कृष्ण सन्तोषी की रचनाएँ

महादेवी वर्मा की रचनाएँ

अलि! मैं कण-कण को जान चली अलि, मैं कण-कण को जान चली सबका क्रन्दन पहचान चली जो दृग में हीरक-जल भरते जो चितवन इन्द्रधनुष करते… Read More »महादेवी वर्मा की रचनाएँ

महामति की रचनाएँ

किरंतन मैं तो बिगडया विस्वथें बिछुडया, बाबा मेरे ढिग आओ मत कोई। बेर-बेर बरजत हों रे बाबा, ना तो हम ज्यों बिगडेगा सोई॥ मैं लाज… Read More »महामति की रचनाएँ

‘महशर’ इनायती की रचनाएँ

आँख में आँसू गुम औसान आँख में आँसू गुम औसान इश्‍क़़ के मारो की पहचान इक अपने चुप रहने से सारी नगरी क्यूँ सुनसान ऐ… Read More »‘महशर’ इनायती की रचनाएँ

‘महताब’ हैदर नक़वी की रचनाएँ

जो हमने ख़्वाब देखे हैं दौलत उसी की है जो हमने ख़्वाब देखे हैं दौलत उसी की है तनहाई कह रही है रफ़ाक़त उसी की… Read More »‘महताब’ हैदर नक़वी की रचनाएँ

मल्लिका मुखर्जी की रचनाएँ

माँ धूप कड़ी सहकर भी माँ तुम, कभी न हारी यौवन में, धरम तुम्हारा खूब निभाया, तुमने अपने जीवन में ! सहम रही ममता पलकों में,… Read More »मल्लिका मुखर्जी की रचनाएँ

मलूकदास की रचनाएँ

हरि समान दाता कोउ नाहीं हरि समान दाता कोउ नाहीं। सदा बिराजैं संतनमाहीं॥१॥ नाम बिसंभर बिस्व जिआवैं। साँझ बिहान रिजिक पहुँचावैं॥२॥ देइ अनेकन मुखपर ऐने।… Read More »मलूकदास की रचनाएँ

मलिकज़ादा ‘मंजूर’की रचनाएँ

अब ख़ून को मय क़ल्ब को पैमाना कहा जाए अब ख़ून को मय क़ल्ब को पैमाना कहा जाए इस दौर में मक़तल को भी मय-ख़ाना… Read More »मलिकज़ादा ‘मंजूर’की रचनाएँ

मलिक मोहम्मद जायसी

स्तुति-खंड   सुमिरौं आदि एक करतारू । जेहि जिउ दीन्ह कीन्ह संसारू ॥ कीन्हेसि प्रथम जोति परकासू । कीन्हेसि तेहि पिरीत कैलासू ॥ कीन्हेसि अगिनि,… Read More »मलिक मोहम्मद जायसी