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Languagewise

सुधांशु उपाध्याय ’की रचनाएँ

डिजिटल होते भारत में  दुनिया रही बदल पर डिजिटल होते इस भारत में औरत खींच रही है हल ! यह सदियों की पीर रही है औरत… Read More »सुधांशु उपाध्याय ’की रचनाएँ

सुधा चौहान ’की रचनाएँ

ऊँट  रोज़ सवेरे कितने ऊँट, पीठ लाद ढेरांे तरबूज़। धीरे-धीरे कहाँ चले, जब पहुँचेंगे पेड़ तले- गर्दन ऊँची कर खाएँगे, कड़वी नीम चबा जाएँगे। मालिक… Read More »सुधा चौहान ’की रचनाएँ

व्योमेश शुक्ल ’की रचनाएँ

जस्ट टियर्स [ इस लम्बी कविता में दर्ज़ लोग और भूगोल, दर्द और दिक्क़तें नई नहीं हैं, नया है वह कहन, जिसे व्योमेश शुक्ल अपनी… Read More »व्योमेश शुक्ल ’की रचनाएँ

वेणु गोपाल ’की रचनाएँ

अंधेरा मेरे लिए रहती है रोशनी लेकिन दिखता है अंधेरा तो कसूर अंधेरे का तो नहीं हुआ न! और न रोशनी का! किसका कसूर? जानने… Read More »वेणु गोपाल ’की रचनाएँ

वेंकटेश चन्द्र पाण्डेय ’की रचनाएँ

नन्हा पौधा  एक बीज था गया बहुत ही, गहराई में बोया उसी बीज के अंतर में था नन्हा पौधा सोया उस पौधे को मंद पवन… Read More »वेंकटेश चन्द्र पाण्डेय ’की रचनाएँ

वृन्दावनलाल वर्मा ’की रचनाएँ

आगे चले चलो अपवाद भय या कीर्ति प्रेम से निरत न हो, यदि ख़ूब सोच-समझ कर मार्ग चुन लिया। प्रेरित हुए हो सत्य के विश्वास,… Read More »वृन्दावनलाल वर्मा ’की रचनाएँ

वृंदावनदास’की रचनाएँ

प्रीतम तुम मो दृगन बसत हौ प्रीतम तुम मो दृगन बसत हौ। कहा भरोसे ह्वै पूछत हौ, कै चतुराई करि जु हंसत हौ॥ लीजै परखि… Read More »वृंदावनदास’की रचनाएँ

वीरेश्वर सिंह ‘विक्रम’की रचनाएँ

प्यारे फूल प्यारे फूल! प्यारे फूल! कल तो तुम चुनमुनिया-से थे आज भला कैसे बढ़ आए? ऐसी महक और रंग तुम सच-सच कहो, कहाँ से… Read More »वीरेश्वर सिंह ‘विक्रम’की रचनाएँ

वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की रचनाएँ

भूल कर भेदभाव की बातें भूल कर भेदभाव की बातें आ करें कुछ लगाव की बातें जाने क्या हो गया है लोगों को हर समय… Read More »वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ की रचनाएँ