शशि पुरवार की रचनाएँ
अंतर्मन अंतर्मन एक ऐसा बंद घर जिसके अन्दर रहती है संघर्ष करती हुई जिजीविषा, कुछ ना कर पाने की कसक घुटन भरी साँसे कसमसाते विचार… Read More »शशि पुरवार की रचनाएँ
अंतर्मन अंतर्मन एक ऐसा बंद घर जिसके अन्दर रहती है संघर्ष करती हुई जिजीविषा, कुछ ना कर पाने की कसक घुटन भरी साँसे कसमसाते विचार… Read More »शशि पुरवार की रचनाएँ
शेष दिल ही जानता है आप सबके पूछने पर, कह दिया आनंद में हूँ, शेष दिल ही जानता है। क्या कहें कितनी विषम हैं, नित्य-प्रति… Read More »ज्ञानेन्द्र मोहन ‘ज्ञान’ की रचनाएँ
ट्राम में एक याद चेतना पारीक कैसी हो? पहले जैसी हो? कुछ-कुछ ख़ुुश कुछ-कुछ उदास कभी देखती तारे कभी देखती घास चेतना पारीक, कैसी दिखती… Read More »ज्ञानेन्द्रपति की रचनाएँ
मन रे कोई गीत गा टूटे न विश्वास कोई घेरे न अवसाद कोई बाँधे न विराग कोई गीत गा – राग भरा कोई गीत गा… Read More »शशि पाधा की रचनाएँ
तुषार कणिका नव प्रभात का हुआ आगमन है उपवन अंचल स्तंभित पुष्प लताओं के झुरमुट में छिपकर बैठी हरित पत्र पर बूँद ओस की ज्योतित… Read More »ज्ञान प्रकाश सिंह की रचनाएँ
अभी तो आँच में पककर ज़रा तैयार होने हैं अभी तो आँच में पककर ज़रा तैयार होने हैं अभी हम गीली मिट्टी के बहुत कच्चे… Read More »ज्ञान प्रकाश विवेक की रचनाएँ
गूलर के फूल कथित रामप्यारे ने देखे सपने में गूलर के फूल। स्वर्ण महल में पाया ख़ुद को रेशम के वस्त्रों में लकदक रत्नजड़ित झूले… Read More »शशिकान्त गीते की रचनाएँ
अब तो सच बात बता दी जाये अब तो सच बात बता दी जाये, वो रिदा क्यों न हटा दी जाये आँखो को मुट्ठियों में… Read More »ज्ञान प्रकाश पाण्डेय की रचनाएँ
प्रेम को बचाते हुए मैंने उसे एक चिट्ठी लिखी जिसमें नम मिट्टी के साथ मखमली घास थी घास पर एक टिड्डा बैठा था पूरी हरियाली… Read More »ज्ञान प्रकाश चौबे की रचनाएँ
जाओ बादल जाओ बादल, तुम्हें मरुस्थल बुला रहा है। वेणुवनों की वल्लरियाँ अब पुष्पित होना चाह रहीं हैं, थकी स्पृहायें शीतलता में जी भर सोना… Read More »ज्ञान प्रकाश आकुल की रचनाएँ