अजय कृष्ण की रचनाएँ
दुख और पहाड़ दुख और पहाड़ का बहुत गहरा रिश्ता है पहाड़ की गोद में दुख पाता है सुकून और चोटी पर आसन्न रहती है… Read More »अजय कृष्ण की रचनाएँ
दुख और पहाड़ दुख और पहाड़ का बहुत गहरा रिश्ता है पहाड़ की गोद में दुख पाता है सुकून और चोटी पर आसन्न रहती है… Read More »अजय कृष्ण की रचनाएँ
करुण चरण कल्याणी जननी करुण चरण कल्याणी जननी मृदुल करो मम् वाणी जननी दया‚ क्षमा का भाव जगा दो दयामयी गुर्बाणी जननी हरो सकल कष्टों… Read More »अजय अज्ञात की रचनाएँ
मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ हाय ये नाज़… Read More »अजमल सुल्तानपुरी की रचनाएँ
दोपहरी गरमी की दोपहरी में तपे हुए नभ के नीचे काली सड़कें तारकोल की अँगारे-सी जली पड़ी थीं छाँह जली थी पेड़ों की भी पत्ते… Read More »शकुन्त माथुर की रचनाएँ
जा, सपनों से खेलना निंदिया की गोदी में सो जा मेरे लालना! सूरज भी सो गया पेड़ सभी सो गए, पत्तों की गोदी में, फूल… Read More »शकुंतला सिरोठिया की रचनाएँ
सो जा कान्हा श्याम सलोना सो जा कान्हा, श्याम सलोना।कोमल-कोमल लोना-लोना,नटखट, चंचल ज्यों मृगछौना।सो जा कान्हा, श्याम सलोना।चंदन पलना नरम बिछौना,चमके जैसे चांदी-सोना।सो जा कान्हा,… Read More »शकुंतला कालरा की रचनाएँ
दस्त-ए-क़ातिल में ये शमशीर कहाँ से आई दस्त-ए-क़ातिल में ये शमशीर कहाँ से आई नाज़ करती मिरी तक़दीर कहाँ से आई चाँदनी सीने में उतरी… Read More »शकीला बानो की रचनाएँ
मेरा मिथ्यालय आमंत्रण निमन्त्रण नहीं अनायास खींच लेता है अपनी ओर मेरा मिथ्यालय श्रेष्ठ जनों के बीच यहीं रचा जाता है कलाओं का महारास मेरे… Read More »अजन्ता देव की रचनाएँ
आल्हा पहले सुमरों सतगुर स्वामी, दीन्हा लौकिक आतम ज्ञान, ब्रह्म रूप चेतन घट-घट में, व्यापक सकल सृष्टि दरम्यान। सो ही आदि शक्ति सत्ता में, होय… Read More »अछूतानन्दजी ‘हरिहर’ की रचनाएँ
शहर में एक बस्ती थी शहर में एक बस्ती थी जहाँ लोगों ने ठंडी आग जलाई थी मशाल को शाल की तरह ओढ़ रखा था… Read More »अच्युतानंद मिश्र की रचनाएँ