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आधुनिक काल

मणिभूषण सिंह की रचनाएँ

कैसे कवि हो? धरा छोड़ उड़ते हो! कैसे कवि हो? अपनी उपत्यक्ता पर क्षण भर भी ठहर नहीं पाते हो! क्या लाते हो? क्यों गहन… Read More »मणिभूषण सिंह की रचनाएँ

मनीषा शुक्ला की रचनाएँ

याद रखना अब हमारी याद में रोना मना है याद रखना! हम तुम्हें उपलब्ध थे, तब तक सरल थे, जान लो प्रश्न अनगिन थे तुम्हारे,… Read More »मनीषा शुक्ला की रचनाएँ

मनीषा पांडेय की रचनाएँ

  तुम्‍हारा होना तुम्‍हारा होना मेरी ज़िंदगी में ऐसे है, जैसे झील के पानी पर ढेरों कमल खिले हों, जैसे बर्फ़बारी के बाद की पहली… Read More »मनीषा पांडेय की रचनाएँ

मनीषा जैन की रचनाएँ

भेद रहा है चक्रव्यूह रोज वह ढ़ोता रहा दिनभर पीठ पर तारों के बड़ल जैसे कोल्हू का बैल होती रही छमाछम बारिश दिन भर टपकता… Read More »मनीषा जैन की रचनाएँ

मनीषा कुलश्रेष्ठ की रचनाएँ

सादा दिल औरत के जटिल सपने लोग कहते थे वह एक सादा दिल भावुक औरत थी मिजाज – लहजे ढब और चाल से रफ्तार ओ… Read More »मनीषा कुलश्रेष्ठ की रचनाएँ

मनीष मूंदड़ा की रचनाएँ

प्रेरणा जीवन के इस प्रवाह में प्रेरणा का अभाव-सा है वैसे तो जीने के लिए निरंतर चल रही है साँसे पर मानो इस जीवन में… Read More »मनीष मूंदड़ा की रचनाएँ

मनीष मिश्र की रचनाएँ

  डायरी के फटे पन्नों में डायरी के फाड़ दिए गए पन्नों में भी साँस ले रही होती हैं अधबनी कविताएँ फड़फड़ाते हैं कई शब्द… Read More »मनीष मिश्र की रचनाएँ

मनीष कुमार झा की रचनाएँ

प्रेम बाँधो नहीं प्रेम शब्दों में प्रेम खुला स्वर, लय है प्रेम साधना की वेदी है प्रेम भक्ति है, पूजा है प्रेम चंद्र की शुभ्र… Read More »मनीष कुमार झा की रचनाएँ

मनविंदर भिम्बर की रचनाएँ

ज़िंदगी रख के भूल गई है मुझे ज़िंदगी रख के भूल गई है मुझे और मैं ज़िंदगी के लिए ब्रह्मी बूटी खोज रही हूँ मिले… Read More »मनविंदर भिम्बर की रचनाएँ

मनमोहन की रचनाएँ

शर्मनाक समय कैसा शर्मनाक समय है जीवित मित्र मिलता है तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति उपस्थित रहती है और उस स्मृति के प्रति बची खुची… Read More »मनमोहन की रचनाएँ