आलम की रचनाएँ
ऐसौ बारौ बार याहि बाहरौ न जान दीजै ऐसौ बारौ बार याहि बाहरौ न जान दीजै, बार गए बौरी तुम बनिता सँगन की । ब्रज… Read More »आलम की रचनाएँ
ऐसौ बारौ बार याहि बाहरौ न जान दीजै ऐसौ बारौ बार याहि बाहरौ न जान दीजै, बार गए बौरी तुम बनिता सँगन की । ब्रज… Read More »आलम की रचनाएँ
रंग-बिरंगे ख़्वाबों के असबाब कहाँ रखते हैं हम रंग-बिरंगे ख़्वाबों के असबाब कहाँ रखते हैं हम अपनी आँखों में कोई महताब कहाँ रखते हैं हम… Read More »आलम खुर्शीद की रचनाएँ
ख़ाब में वो घुमाते रहे ख़ाब में वो घुमाते रहे हम न फूले समाते रहे ढेरों चेहरे बदल करके वो सब्र को आजमाते रहे पत्थरों… Read More »आर्य हरीश कोशलपुरी की रचनाएँ
तुम्हारी आँखों के ज्यामितीय बॉक्स में तुम्हारी आँखों के ज्यामितीय बॉक्स में, मेरे जिस्म के जंगल से तुम्हारी रूह की राजधानी तक के सफर के… Read More »आर्य भारत की रचनाएँ
किस दुनिया से आये हो तुम किस दुनिया से आये हो तुम पाषाणों में जीवन भरने जूठे जल से किया आचमन जप टूटी बैजंती माला… Read More »आराधना शुक्ला की रचनाएँ
चाँद को देखो चाँद को देखो चकोरी के नयन से माप चाहे जो धरा की हो गगन से। मेघ के हर ताल पर नव नृत्य… Read More »आरसी प्रसाद सिंह की रचनाएँ
हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम की अंजुमन में नहीं हमारा ज़िक्र जो ज़ालिम को अंजुमन में नही। जभी तो दर्द का पहलू किसी सुख़न में नहीं॥… Read More »आरज़ू लखनवी की रचनाएँ
रैदास की कठौत रख चुके हो क़दम सहस्त्राब्दि के दहलीज़ पर टेकुरी और धागा लेकर उलझे रहे मकड़जाल के धागे में और बुनते रहे अपनी… Read More »आरसी चौहान की रचनाएँ
तितली का घर सज-धज करके कैसी आई, मैडम बटर फ्लाई। इस डाली से उस डाली तक झट से उड़कर जाती, फूल-फूल के पास पहुँचकर हँस-हँसकर… Read More »आर.पी. सारस्वत की रचनाएँ
आवाज़ दो ढाई बजे रातजब सब सो रहे हैंकुत्ते भीमेरा मन करता हैज़ोर की आवाज़ लगाऊँदसों दिशाओं को कँपा देनेवाली आवाज़चुप्पियों को चीरकर रख देनेवालीचाँद… Read More »आरती मिश्रा की रचनाएँ