अंजना बख्शी की रचनाएँ
गुलाबी रंगों वाली वो देह मेरे भीतर कई कमरे हैं हर कमरे में अलग-अलग सामान कहीं कुछ टूटा-फूटा तो कहीं सब कुछ नया! एकदम मुक्तिबोध… Read More »अंजना बख्शी की रचनाएँ
गुलाबी रंगों वाली वो देह मेरे भीतर कई कमरे हैं हर कमरे में अलग-अलग सामान कहीं कुछ टूटा-फूटा तो कहीं सब कुछ नया! एकदम मुक्तिबोध… Read More »अंजना बख्शी की रचनाएँ
पिता अंतिम यात्रा पर निकले पिता आँगन में कितनी जगह रह जाते हैं, खाट के निचे चप्पल और छड़ी में बैठक के रेडियो और जेब… Read More »अंजना टंडन की रचनाएँ
समय की शिला पर समय की शिला पर मधुर चित्र कितने किसी ने बनाए, किसी ने मिटाए। किसी ने लिखी आँसुओं से कहानी किसी ने… Read More »शंभुनाथ सिंह की रचनाएँ
उलझे धागों को सुलझाना मुश्किल है उलझे धागों को सुलझाना मुश्किल है नफरतवाली आग बुझाना मुश्किल है जिनकी बुनियादें खुदग़र्ज़ी पर होंगी ऐसे रिश्तों का… Read More »शंभुनाथ तिवारीकी रचनाएँ
सड़क कोई कहीं गया था जिस दिन, जन्म लिया था मैंने उस दिन अब भी जहाँ कहीं जो जाता, मुझको अपना साथी पाता! बाजारों में… Read More »शंभुदयाल सक्सेना की रचनाएँ
बच्चे की ज़िद वे कहीं भी रहेंगे तो बोल देंगे उनका होना छिप नहीं सकता किसी रहस्य की तरह किसी जादू की तरह या किसी… Read More »शंकरानंद की रचनाएँ
प्रेमिल रोजनामचों की इंदराजी तुम्हारा मुझसे प्रेम करना है ज़मीन का अपने जंगलों से प्रेम करना और गिलहरी का अपने पेड़ से। जिस बारिश से… Read More »अंचित की रचनाएं
मैं अछूती माहवारी के तीन दिन बहते रक्त से उपजी छटपटाहट चटपटा खाने की लालसा, बढ़ी हुई भूख, चिड़चिड़ापन बढ़ाते हार्मोन्स, मरूढ़ते पेट, छिली हुई… Read More »अंकिता जैन की रचनाएं
मेरे श्याम हाथ माखन होंठ मुरली, से सजाया आपने नंद नंदन श्याम जग को है रिझाया आपने॥ ऐ मदन गोपाल सुनिए, मैं अकिंचन दीन हूँ… Read More »अंकिता कुलश्रेष्ठ की रचनाएं
ओ मन्दिर के शंख, घण्टियों / अंकित काव्यांश ओ मन्दिर के शंख, घण्टियों तुम तो बहुत पास रहते हो, सच बतलाना क्या पत्थर का ही… Read More »अंकित काव्यांश की रचनाएं