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Hindi

गिरिजा अरोड़ा की रचनाएँ

गॉड पार्टिकल  चलते चलते, उठते बैठते, यूँ ही इधर उधर मिल जाता है अक्सर गॉड पार्टिकल वो बीज बन भूमि में जाता, सूर्य बन रश्मि… Read More »गिरिजा अरोड़ा की रचनाएँ

विजय राठौर की रचनाएँ

दण्डकारण्य में माँ दण्डकारण्य के सुदूर वनांचल में बसती है माँ दन्तेश्वरी आजानुबाहु राजा के पुरखों के संचित पुण्यों से, साक्षात वरदायिनी माँ की ममता… Read More »विजय राठौर की रचनाएँ

गिरधारी सिंह गहलोत की रचनाएँ

आदमी के पास हो दौलत नहीं आराम है  आदमी के पास हो दौलत नहीं आराम है ज़िंदगी में कुछ नहीं फिर ज़िंदगी नाकाम है। वक़्त… Read More »गिरधारी सिंह गहलोत की रचनाएँ

गिरधर राठी की रचनाएँ

लेकिन कहाँ है जवाब?  बातें बेलाग हैं सवाल दो-टूक– कटे हुए जंगल जलती हुई औरतें ख़ाक छानते बच्चे लुरियाते जवाँ-मर्द… रंग हैं पहचाने रौशनी अधुंधली–… Read More »गिरधर राठी की रचनाएँ

विजय बहादुर सिंह की रचनाएँ

असभ्य आदिम गीत देह की सुडौल भाषा और रूप की जादुई लिपि के इलाके में आज भी पुश्तैनी बाशिन्दे की तरह दर्ज़ है उसकी उपस्थिति… Read More »विजय बहादुर सिंह की रचनाएँ

गिरधर गोपाल की रचनाएँ

शरद की हवा शरद की हवा ये रंग लाती है, द्वार-द्वार, कुंज-कुंज गाती है। फूलों की गंध-गंध घाटी में बहक-बहक उठता अल्हड़ हिया हर लता… Read More »गिरधर गोपाल की रचनाएँ

ग़ालिब की रचनाएँ

अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना अज़ मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना तूती को शश जिहत से मुक़ाबिल है आइना अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ ये न… Read More »ग़ालिब की रचनाएँ

विजय गौड़ की रचनाएँ

बारिश में भीगती लड़की को देखने के बाद एक झमाझम पड़ती वर्षा की मोटी धारों के बीच लड़की चुपचाप सिर पर छाता ताने चलती है… Read More »विजय गौड़ की रचनाएँ

विजय गुप्त की रचनाएँ

मुर्दा नम्बर बहुत कोशिशें कीं नहीं सुन सका टूटी हुई सिलाई वाली क़िताब के पन्नों में जैसे-तैसे अटके धागों की पुकार; समझ ही नहीं सका… Read More »विजय गुप्त की रचनाएँ

ग़ालिब अयाज़ की रचनाएँ

बस तेरे लिए उदास आँखें  बस तेरे लिए उदास आँखें उफ़ मस्लहत ना-शनास आँखें बे-नूर हुई हैं धीरे धीरे आईं नहीं मुझ को रास आँखें… Read More »ग़ालिब अयाज़ की रचनाएँ