रश्मि प्रभा की रचनाएँ
दर्द को हम बाँट लेंगे !!! तुम्हें क्या लगता है मुझे शाखों से गिरने का डर है तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है कैसे लगता है… Read More »रश्मि प्रभा की रचनाएँ
दर्द को हम बाँट लेंगे !!! तुम्हें क्या लगता है मुझे शाखों से गिरने का डर है तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है कैसे लगता है… Read More »रश्मि प्रभा की रचनाएँ
Do Not Stand At My Grave And Weep Do not stand at my grave and weep I am not there. I do not sleep. I… Read More »Poem by Mary Elizabeth Frye
अहल-ए-नज़र की आँख में हुस्न की आबरू नहीं अहल-ए-नज़र की आँख में हुस्न की आबरू नहीं यानी ये गुल है काग़ज़ी रंग है जिस में… Read More »‘रशीद’ रामपुरी की रचनाएँ
पाँच बज गए पाँच बज गए दफ़्तरों के पिंजरों से हज़ारों परिन्दे (जो मुर्दा थे) सहसा जीवित हो गए… पाँच बज गए… आकुल मन शलथ… Read More »रवीन्द्रनाथ त्यागी की रचनाएँ
मेरे आसमान में कौन देखता है जागकर दुनिया देखकर कौन रोता है मेरे आसमां में कौन रहता है मेरे आसमाँ में कौन रोता है धरती… Read More »रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति की रचनाएँ
गीतों से पहले पँछी में गाने का गुन है दो तिनके चुनकर वह तृप्त जहाँ होता है गीतों की कड़ियाँ बोता है ! सूखा पेड़ कँटीली… Read More »रवीन्द्र भ्रमर की रचनाएँ
महाब्राह्मण वहाँ कोई नहीं है धिकते हुए लोहे की तरह लगती हैं अपनी ही सांसें खाँसते हुए अपाढ़ है उठना-बैठना आवाज़ जो रहती थी समय-असमय… Read More »रवीन्द्र भारती की रचनाएँ
बनारस : दो शब्दचित्र 1. पिस्ता-बादाम की ठंडई में भांग के सुंदर संयोग से बना-रस एक घूँट में गटकते हुए बनारस गुम हो जाता सरेशाम… Read More »रवीन्द्र प्रभात की रचनाएँ
लिखूँगा तो रेतों पर ही लिखूंगा तो रेतों पर ही चाहे वह मिट जाए पल में आज अगर मैं जी न सका तो क्या रखा?… Read More »रवीन्द्र दास की रचनाएँ
जानवरों का मेला जंगल के सब जानवरों ने एक लगाया मेला, पोखर के तट वाला तम्बू बड़ी दूर तक फैला। हाथी लगा समोसे तलने भालू… Read More »रवींद्रनाथ त्यागी की रचनाएँ