ब्रह्मदेव शर्मा की रचनाएँ
खुली या बंद हों आँखें दिखाई देता है खुली या बंद हों आँखें दिखाई देता है। उसी का नाद है वह ही सुनाई देता है॥… Read More »ब्रह्मदेव शर्मा की रचनाएँ
खुली या बंद हों आँखें दिखाई देता है खुली या बंद हों आँखें दिखाई देता है। उसी का नाद है वह ही सुनाई देता है॥… Read More »ब्रह्मदेव शर्मा की रचनाएँ
यार क्यों हो गया ख़फ़ा मुझसे यार क्यों हो गया ख़फ़ा मुझसे ऐसी क्या हो गई ख़ता मुझसे ज़ख़्म ये दिल पे मेरे कैसे हुए… Read More »ब्रह्मजीत गौतम की रचनाएँ
इन दिनों वह-1 इन दिनों अक्सर देखती है वह पेडों को गुनगुनाते हुए उसके लिए गुब्बारे की तरह हल्की हो चुकी है धरती और आसमान… Read More »ब्रजेश कृष्ण की रचनाएँ
कत’आ इससे बढ़कर मलाल शायरी में क्या होगा लिखता हूँ जिसके लिए उसको गुमान ही नहीं समझे मुझे सारा जहाँ तो भी क्या हुआ गर… Read More »ब्रजेन्द्र ‘सागर’की रचनाएँ
फुटपाथ बिछौने हैं अपने नीचे सड़कों के फुटपाथ बिछौने हैं कोई खिलौना मांग न बेटे! हम ही खिलौने हैं कच्चे-पक्के, टूटे-फूटे मन-सा घर का सपना… Read More »ब्रजमोहन की रचनाएँ
आज की सुबह ताज़ा हवा से बातचीत हो सकी आज रात की रही रंगत देखी सुबह की सड़कों पर नदी की उनींदी और पेड़ों की… Read More »ब्रज श्रीवास्तव की रचनाएँ
होत ही प्रात जो घात करै नित होत ही प्रात जो घात करै नित पारै परोसिन सोँ कल गाढ़ी । हाथ नचावत मुँड खुजावत पौर… Read More »ब्रज चन्द्र की रचनाएँ
कुछ भी मारो, बस, आँख मत मारो (मर्यादावादियों के लिए एक नया राष्ट्रगान) गोरक्षक बन कर मारो गोमाँस के नाम पर मारो काश्मीर में सरकार… Read More »बोधिसत्व की रचनाएँ
हिलि मिलि जानै तासोँ मिलिकै जनावै हेत हिलि मिलि जानै तासोँ मिलिकै जनावै हेत , हित को न जानै ताको हितू न बिसाहिये । होय… Read More »बोधा की रचनाएँ
दोहे ऐसे ही इन कमल कुल, जीत लियो निज रंग। कहा करन चाहत चरन, लहि अब जावक संग॥ लसत लाल डोरेऽरु सित, चखन पूतरी स्याम।… Read More »बैरीसाल की रचनाएँ