हुमेरा ‘राहत’ की रचनाएँ
आँखों से किसी ख़्वाब को बाहर नहीं देखा आँखों से किसी ख़्वाब को बाहर नहीं देखा फिर इश्क़ ने ऐसा कोई मंज़र नहीं देखा ये… Read More »हुमेरा ‘राहत’ की रचनाएँ
आँखों से किसी ख़्वाब को बाहर नहीं देखा आँखों से किसी ख़्वाब को बाहर नहीं देखा फिर इश्क़ ने ऐसा कोई मंज़र नहीं देखा ये… Read More »हुमेरा ‘राहत’ की रचनाएँ