अब्दुल मलिक खान की रचनाएँ
दिन प्यारे गुड़धानी के तान तड़ातड़-तान तड़ातड़ पानी पड़ता पड़-पड़-पड़! तरपट-तरपट टीन बोलते, सूखे पत्ते खड़-खड़-खड़। ठुम्मक-ठुम्मक झरना ठुमका, इठलाती जलधार चली। खेतों में हरियाली… Read More »अब्दुल मलिक खान की रचनाएँ
दिन प्यारे गुड़धानी के तान तड़ातड़-तान तड़ातड़ पानी पड़ता पड़-पड़-पड़! तरपट-तरपट टीन बोलते, सूखे पत्ते खड़-खड़-खड़। ठुम्मक-ठुम्मक झरना ठुमका, इठलाती जलधार चली। खेतों में हरियाली… Read More »अब्दुल मलिक खान की रचनाएँ