अभिराम शर्मा की रचनाएँ
पागलपन जीवन मुक्त हुआ उन्मादी! दे दे मुझे गरल की प्याली- क्यों मेरी मदिरा ढुलका दी? अरे, अरे! यह भीषण ज्वाला- तूने कैसे कहां लगा… Read More »अभिराम शर्मा की रचनाएँ
पागलपन जीवन मुक्त हुआ उन्मादी! दे दे मुझे गरल की प्याली- क्यों मेरी मदिरा ढुलका दी? अरे, अरे! यह भीषण ज्वाला- तूने कैसे कहां लगा… Read More »अभिराम शर्मा की रचनाएँ