अजय ‘प्रसून’ की रचनाएँ
पीली धूप माचिस की है तीली धूप, सरसों-सी है पीली धूप। गरम दूध-सी उबल रही है, चूल्हे चढ़ी पतीली धूप। अभी शाम आई थी, डटकर,… Read More »अजय ‘प्रसून’ की रचनाएँ
पीली धूप माचिस की है तीली धूप, सरसों-सी है पीली धूप। गरम दूध-सी उबल रही है, चूल्हे चढ़ी पतीली धूप। अभी शाम आई थी, डटकर,… Read More »अजय ‘प्रसून’ की रचनाएँ
बंधक सुबहें बंधक सुबहें गिरवी अपनी साँझ दुपहरी है । बड़ी देर तक रात व्यथा से कर सोये संवाद, रोटी की चिंता ने छीना प्रातः… Read More »अजय पाठक की रचनाएँ
रेल चली छुक-छुक रेल चली छुक-छुक,रेल चली छुक-छुक! रेल में थे नाना,साथ लिए खाना।खाना खाया चुप-चुप,रेल चली छुक-छुक! रेल में थी दादी,बिल्कुल सीधी-सादी।देख रही टुक-टुक,रेल… Read More »अजय जनमेजय की रचनाएँ
दुख और पहाड़ दुख और पहाड़ का बहुत गहरा रिश्ता है पहाड़ की गोद में दुख पाता है सुकून और चोटी पर आसन्न रहती है… Read More »अजय कृष्ण की रचनाएँ
करुण चरण कल्याणी जननी करुण चरण कल्याणी जननी मृदुल करो मम् वाणी जननी दया‚ क्षमा का भाव जगा दो दयामयी गुर्बाणी जननी हरो सकल कष्टों… Read More »अजय अज्ञात की रचनाएँ
मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल मैं तेरा शाहजहाँ तू मेरी मुमताज महल आ तुझे प्यार की अनमोल निशानी दे दूँ हाय ये नाज़… Read More »अजमल सुल्तानपुरी की रचनाएँ
मेरा मिथ्यालय आमंत्रण निमन्त्रण नहीं अनायास खींच लेता है अपनी ओर मेरा मिथ्यालय श्रेष्ठ जनों के बीच यहीं रचा जाता है कलाओं का महारास मेरे… Read More »अजन्ता देव की रचनाएँ
आल्हा पहले सुमरों सतगुर स्वामी, दीन्हा लौकिक आतम ज्ञान, ब्रह्म रूप चेतन घट-घट में, व्यापक सकल सृष्टि दरम्यान। सो ही आदि शक्ति सत्ता में, होय… Read More »अछूतानन्दजी ‘हरिहर’ की रचनाएँ
शहर में एक बस्ती थी शहर में एक बस्ती थी जहाँ लोगों ने ठंडी आग जलाई थी मशाल को शाल की तरह ओढ़ रखा था… Read More »अच्युतानंद मिश्र की रचनाएँ
दुख उसे जब पहली बार देखा लगा जैसे भोर की धूप का गुनगुना टुकड़ा कमरे में प्रवेश कर गया है अंधेरे बंद कमरे का कोना-कोना… Read More »अचल वाजपेयी की रचनाएँ