कबीर शुक्ला की रचनाएँ
अर्ज़-ए-पाक़ पर ये हवादिशें देखा तो रो दिया अर्ज़-ए-पाक पर ये हवादिशें होता देखा तो रो दिया। निग़ार-ए-ज़ीस्त को पामाल बनता देखा तो रो दिया।… Read More »कबीर शुक्ला की रचनाएँ
अर्ज़-ए-पाक़ पर ये हवादिशें देखा तो रो दिया अर्ज़-ए-पाक पर ये हवादिशें होता देखा तो रो दिया। निग़ार-ए-ज़ीस्त को पामाल बनता देखा तो रो दिया।… Read More »कबीर शुक्ला की रचनाएँ