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राजरानी देवी की रचनाएँ

पद / 1 मृग-मन हारे मीन खंजन निहारि वारे, प्यारे रतनारे कजरारे अनियारे हैं। पैन सर धारे कारी भृकुटि धनुष-वारे, सुठि सुकुमारे शोभा सुभग सुढार… Read More »राजरानी देवी की रचनाएँ

राजमूर्ति ‘सौरभ’ की रचनाएँ

आँखों में जब सपने न थे तो टूटने का भय न था आँखों में जब सपने न थे तो टूटने का भय न था कितने… Read More »राजमूर्ति ‘सौरभ’ की रचनाएँ

राजमणि मांझी ‘मकरम’ की रचनाएँ

केवल अपने लिए मैं स्वार्थी हूँ अपनी बीवी की गाँठ खोलकर लूट लेता हूँ उसकी बची-खुची अस्मिता जबरन उधार माँगता हूँ उस बनिए से जो… Read More »राजमणि मांझी ‘मकरम’ की रचनाएँ

राजबुन्देली की रचनाएँ

नव वर्ष तुम्हारा स्वागत है उम्मीदॊं नॆ दर्पण दॆखा,सपनॊं का मंदिर टूटा पाया ! जॊ बैठा सिंहासन पर, जनता कॊ बस लूटा खाया !! करुणा-कृंदित कितनी, पारी… Read More »राजबुन्देली की रचनाएँ

राजनारायण चौधरी की रचनाएँ

मेरे घर आना परी! कभी मेरे घर आना! आना अपनी पाँखें खोले उड़ती-उड़ती हौले-हौले, आ मुझसे घुल-मिल बतियाना! सुघड़ दूधिया गोटे वाली जिसमें कढ़ी हुई… Read More »राजनारायण चौधरी की रचनाएँ

राजकुमारी रश्मि की रचनाएँ

दुर्दिन में अब हरखू कैसे दुर्दिन में अब हरखू कैसे, घर का पेट भरे. (१) ऐसा सूखा पड़ा, धान की फसल हुई बरबाद. उपर वाले… Read More »राजकुमारी रश्मि की रचनाएँ

राजकुमारी नंदन की रचनाएँ

हे जलप्रपात तुम कहां चले? हे जलप्रपात तुम कहां चले, हे पारवत्य, तुम कहां चले? उज्ज्वल, फेनिल, चंचल कलकल शीतल, निर्मल, मंजुल, छलछल हे दुग्ध-धवल,… Read More »राजकुमारी नंदन की रचनाएँ

राजकुमार ‘रंजन’की रचनाएँ

संघर्षों में जो जीते हैं संघर्षों में जो जीते हैं उनका मूल्य अधिक होता है घर में बैठ चुहलबाजी से जीवन नहीं जिया करता है… Read More »राजकुमार ‘रंजन’की रचनाएँ

राजकुमार कुंभज की रचनाएँ

अभिभूति स्कूली दिनों में स्कूल नहीं गया दफ़्तरी दिनों में कभी भी गया नहीं दफ़्तर घंटाघर के पीछे आँखमिचौली करते हुए खेलता रहा कंचे या… Read More »राजकुमार कुंभज की रचनाएँ

राजकिशोर सिंह की रचनाएँ

एक कप चाय  एक कप चाय दूध चीनी का केवल घोल नहीं प्रेम का उपहार है अतिथियों का स्वागत आगंतुकों का सत्कार है एक कप… Read More »राजकिशोर सिंह की रचनाएँ