सरस्वती कुमार दीपक की रचनाएँ
चिड़िया आई चिड़िया आई, तिनके लाई, उड़ी फुर्र से, फिर से आई। चिड़ा चिड़चिड़ा, चिड़िया भोली, चूँ-चूँ-चूँ चिड़िया की बोली, बोली, जैसे शरबत घोली, सुन-सुन… Read More »सरस्वती कुमार दीपक की रचनाएँ
चिड़िया आई चिड़िया आई, तिनके लाई, उड़ी फुर्र से, फिर से आई। चिड़ा चिड़चिड़ा, चिड़िया भोली, चूँ-चूँ-चूँ चिड़िया की बोली, बोली, जैसे शरबत घोली, सुन-सुन… Read More »सरस्वती कुमार दीपक की रचनाएँ