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अमरनाथ साहिर

अमरनाथ साहिर की रचनाएँ

कुछ फुटकर शे’र होने को तो है अब भी वही हुस्न, वही इश्क़। जो हर्फ़े-ग़लत होके मिटा नक़्शे-वफ़ा था॥ पिन्हाँ नज़र से पर्द-ए-दिल में रहा… Read More »अमरनाथ साहिर की रचनाएँ