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उमेश चौहान

उमेश चौहान की रचनाएँ

सुनो, सुनो, सुनो !  पैदा हुए उन्नीस बोरे धान मन में सज गए हज़ारों अरमान लेकिन निर्मम था मण्डी का विधान ऊपर था खुला आसमान… Read More »उमेश चौहान की रचनाएँ