ख़्वाजा हैदर अली ‘आतिश’ की रचनाएँ
दोस्त हो जब दुश्मने-जाँ दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो आदमी को किस तरह अपनी कज़ा मालूम हो आशिक़ों से पूछिये खूबी लब-ए-जाँबख्श… Read More »ख़्वाजा हैदर अली ‘आतिश’ की रचनाएँ
दोस्त हो जब दुश्मने-जाँ दोस्त हो जब दुश्मन-ए-जाँ तो क्या मालूम हो आदमी को किस तरह अपनी कज़ा मालूम हो आशिक़ों से पूछिये खूबी लब-ए-जाँबख्श… Read More »ख़्वाजा हैदर अली ‘आतिश’ की रचनाएँ