Skip to content

जहूर बख्श

जहूर बख्श की रचनाएँ

बढ़ई बढ़ई हमारे यह कहलाते, जंगल से लकड़ी मँगवाते! फिर उस पर हथियार चलाते, चतुराई अपनी दिखलाते! लकड़ी आरे से चिरवाते, फिर आरी से हैं… Read More »जहूर बख्श की रचनाएँ