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मजीद ‘अमज़द’

मजीद ‘अमज़द’ की रचनाएँ

और अब ये कहता हूँ ये जुर्म तो रवा रखता ‎ और अब ये कहता हूँ ये जुर्म तो रवा रखता मैं उम्र अपने लिए… Read More »मजीद ‘अमज़द’ की रचनाएँ