मदनलाल मधु की रचनाएँ
अपनी धरती स्वर्ग बना लोगे जितनी भी जल्दी तुम मिलकर अपने क़दम बढ़ा लोगे उतनी ही जल्दी तुम अपनी धरती स्वर्ग बना लोगे ।… Read More »मदनलाल मधु की रचनाएँ
अपनी धरती स्वर्ग बना लोगे जितनी भी जल्दी तुम मिलकर अपने क़दम बढ़ा लोगे उतनी ही जल्दी तुम अपनी धरती स्वर्ग बना लोगे ।… Read More »मदनलाल मधु की रचनाएँ
भूल न जाना अकसर बालक सड़कों पर चलती गाड़ी के, पीछे भागकर पायदान पर चढ़ जाते हैं। किंतु अगर साईस जान लेता है उनको, तो… Read More »मदनगोपाल सिंहल की रचनाएँ
सर्दी आई ठिठुरन कंपन अकड़ दिखाती ठंड पड़ रही भारी, सूरज भैया छिपकर बैठे शायद भूले पारी। मुनिया डर कर नहीं नहाई, बीती बरखा सर्दी… Read More »मदनगोपाल शर्मा की रचनाएँ
उषा-स्तवन-2 जिस के स्वागत में नभ ने बरसा दी हैं जोन्हियाँ सभी, और बड़ ने छाँह बिछा डाली है, वह तू उषा, मेरी आँखों पर… Read More »मदन वात्स्यायन की रचनाएँ
काश ऐसा भी हो चुका होता सारे सुख आके जा चुके होते दुख हमें आज़मा चुके होते हर जुदाई को जी चुके होते अपने होठों… Read More »मदन मोहन दानिश की रचनाएँ
सही ज़मीन आपकी इस्लाह के लिए शुक्रिया मुझे आपकी बात की इसलिए परवाह नहीं क्योंकि मेरे पाँव सही ज़मीन पर टिके हैं ये ज़मीन मुझे… Read More »मदन डागा की रचनाएँ
कविता से ज़्यादा कौन कहता है मैंने कुछ नहीं लिखा इन दिनों। कविता में शब्द होते हैं प्राण जीवन का आधार। मैंने रचा है जीवन !… Read More »मदन गोपाल लढ़ा की रचनाएँ
दूसरे की बात सुनि परत न ऐसी जहाँ दूसरे की बात सुनि परत न ऎसी जहाँ , कोकिल कपोतन की धुनि सरसात है । छाइ… Read More »मतिराम की रचनाएँ
एक चलती हुई बस में मैं एक चलती हुई बस में सवार हूँ जो दौड़ रही है देश की राजधानी की सड़कों पर शायद ये… Read More »मणि मोहन की रचनाएँ
और अब ये कहता हूँ ये जुर्म तो रवा रखता और अब ये कहता हूँ ये जुर्म तो रवा रखता मैं उम्र अपने लिए… Read More »मजीद ‘अमज़द’ की रचनाएँ