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रत्नावली देवी

रत्नावली देवी की रचनाएँ

दोहा / भाग 1 होइ सहज ही हौं कही, लह्यो बोध हिरदेस। हों रतनावली जँचि गई, पिय हिय काँच विसेस।।1।। रतन दैव बस अमृत विष,… Read More »रत्नावली देवी की रचनाएँ