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रफ़अत सरोश

रफ़अत सरोश की रचनाएँ

तजस्सुस . बहुत दूर से एक आवाज़ आई मैं, इक ग़ुंचा-ए-ना-शगुफ़्ता हूँ, कोई मुझे गुदगुदाए मैं तख़्लीक़ का नग़्मा-ए-जाँ-फ़ज़ाँ हूँ, मुझे कोई गाए मैं इंसान… Read More »रफ़अत सरोश की रचनाएँ