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राग़िब अख़्तर

राग़िब अख़्तर की रचनाएँ

बहुत दुश्वार है अब आईने से गुफ़्तुगू करना बहुत दुश्वार है अब आईने से गुफ़्तुगू करना सज़ा से कम नहीं है ख़ुद को अपने रू-ब-रू… Read More »राग़िब अख़्तर की रचनाएँ