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राजेश चड्ढ़ा

राजेश चड्ढ़ा की रचनाएँ

तुम्हीं तलाशो तुम्हें तलाश-ए-सहर होगी ‎ तुम्हीं तलाशो तुम्हें तलाश-ए-सहर होगी, हमको मालूम है सहर किसे मयस्सर होगी। पाग़ल हो हाथ उठाए हो दुआ माँग… Read More »राजेश चड्ढ़ा की रचनाएँ