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रामगोपाल ‘रुद्र’की रचनाएँ

रुद्र स्तवन हर हर मृडेश हे प्रलयंकर! मदघूर्ण-निशामणि नर-कपाल प्रज्वलित-नेत्र खप्पर-विशाल तुम पुलक-पुलक धृत-मुंडमाल उद्धत विराट ताण्डव-तत्पर। तुम शुभ्र-वदन उज्ज्वल-निकेत, गणपति-हिमाद्रि-तनुजा-समेत, पार्षद-परेश! बहु भूत-प्रेत ले,… Read More »रामगोपाल ‘रुद्र’की रचनाएँ

राम गोपाल भारतीय की रचनाएँ

किसी की आँख में आँसू सजाकर किसी की आँख में आँसू सजाकर बहुत पछताओगे यूँ मुस्कुराकर तुम उसके पाँव के छाले तो देखो कहीं वो… Read More »राम गोपाल भारतीय की रचनाएँ

रानी रघुवंशकुमारी की रचनाएँ

पद / 1 पग दाबे तो जीवन मुक्ति लही। विष्णुपदी सम पति-पदपंकज छुवत परमपद होवे सही॥ निरखि निरखि मुख अति सुख पावत प्रेम समुद के… Read More »रानी रघुवंशकुमारी की रचनाएँ

राणा प्रताप की रचनाएँ

सर्वहारा हज़ारों वर्षों से हम पत्थर काट रहे हैं महलों और गुम्बजों का निर्माण कर रहे हैं बिड़लाओं के भगवान गढ़ रहे हैं औज़ार हमारे… Read More »राणा प्रताप की रचनाएँ

राना सहरी की रचनाएँ

है इख़्तियार में तेरे तो ये मोजेज़ा कर दे है इख़्तियार में तेरे तो मोजेज़ा कर दे वो शख़्स मेरा नहीं है उसे मेरा कर… Read More »राना सहरी की रचनाएँ

राधेश्याम बन्धु की रचनाएँ

रूप बादल हुआ रूप बादल हुआ प्यार पागल हुआ क्यों नदी घाट की प्यास बुझती नहीं मेघ घिरते रहे कामना की तरह हम तरसते रहे… Read More »राधेश्याम बन्धु की रचनाएँ

राधेश्याम प्रगल्भ की रचनाएँ

बच्चे की चाह बच्चे की चाह सपने में चाहा नदी बनूँ बन गया नदी, कोई भी नाव डुबोई मैंने नहीं कभी। मैंने चाहा मैं बनूँ… Read More »राधेश्याम प्रगल्भ की रचनाएँ

राधेश्याम तिवारी की रचनाएँ

लघु आलोचक धरती है आकाश पर प्रेम टिका विश्वास पर । जब से चाँद हुआ है ओझल तब से नज़र पलास पर। सबकी आँखें इधर-उधर… Read More »राधेश्याम तिवारी की रचनाएँ

राधेश्याम ‘प्रवासी’ की रचनाएँ

मंगलमय हो! मंगलमय हो संस्कृति-पथ पर अगला चरण तुम्हारा! मंज़िल से पहले नाविक पतवार न रूकने पाये, भँवरों में पड़ करके मय का ज्वार न… Read More »राधेश्याम ‘प्रवासी’ की रचनाएँ

राधावल्लभ पाण्डेय की रचनाएँ

दोहा / भाग 1 जन्म भूमि सेवत सुजन, धरम जाय बरु छूटि। सुरन संवारी सुरपुरी, रतना कर को लूटि।।1।। बन्धु न स्वर्गहु में सुलभ, जन्म… Read More »राधावल्लभ पाण्डेय की रचनाएँ