लक्ष्मीकान्त मुकुल की रचनाएँ
पांव भर बैठने की जमीन यहां अब नहीं हो रही हैं सेंध्मारियां बगुले लौट रहे हैं देर रात अपने घोसले में पहुंचा रहे हैं कागा… Read More »लक्ष्मीकान्त मुकुल की रचनाएँ
पांव भर बैठने की जमीन यहां अब नहीं हो रही हैं सेंध्मारियां बगुले लौट रहे हैं देर रात अपने घोसले में पहुंचा रहे हैं कागा… Read More »लक्ष्मीकान्त मुकुल की रचनाएँ
छनो भर खातिर उनुका लगे ना रहे कौनो टाट के मड़ई आ फूंस-मूंजन के खोंता ऊ चिरई ना रहन भा कौनो फेंड़-रूख हरवाहीं से लौटत… Read More »लक्ष्मीकान्त मुकुल की रचनाएँ