शिवबहादुर सिंह भदौरिया की रचनाएँ
इस तपन से जेठ की घबरा गए थे प्रान इस तपन से जेठ की घबरा गए थे प्रान पर अचानक याद आया एक गंगा स्नान… Read More »शिवबहादुर सिंह भदौरिया की रचनाएँ
इस तपन से जेठ की घबरा गए थे प्रान इस तपन से जेठ की घबरा गए थे प्रान पर अचानक याद आया एक गंगा स्नान… Read More »शिवबहादुर सिंह भदौरिया की रचनाएँ
एक गाँठ और सरपत सी मूछों और मशकनुमा छाती पर आँख गड़ गई; उलझे हुए धागे में एक गाँठ और पड़ गई। परिवेश: एक जलता… Read More »शिवबहादुर सिंह भदौरिया की रचनाएँ
पुरवा जो डोल गई पुरवा जो डोल गई, घटा घटा आँगन में जूड़े-से खोल गई। बूँदों का लहरा दीवारों को चूम गया, मेरा मन सावन… Read More »शिवबहादुर सिंह भदौरिया की रचनाएँ