टोडर की रचनाएँ
जार को बिचार कहा गनिका को लाज कहा जार को बिचार कहा गनिका को लाज कहा , गदहा को पान कहा आँधरे को आरसी ।… Read More »टोडर की रचनाएँ
जार को बिचार कहा गनिका को लाज कहा जार को बिचार कहा गनिका को लाज कहा , गदहा को पान कहा आँधरे को आरसी ।… Read More »टोडर की रचनाएँ
यूँ ही कुछ मुस्काकर तुमने यूँ ही कुछ मुस्काकर तुमने परिचय की वो गाँठ लगा दी ! था पथ पर मैं भूला-भूला फूल उपेक्षित कोई फूला… Read More »त्रिलोचन की रचनाएँ
ऐसा वर दो भगवन् हमको ऐसा वर दो। जग के सारे सद्गुण भर दो॥ हम फूलों जैसे मुस्कायें, सब पर प्रेम सुगंध लुटायें, हम… Read More »त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ
जय हिन्द पैदा उफ़क़े –हिन्द से हैं सुबह के आसार है मंज़िले-आखिर में ग़ुलामी की शबे-तार आमद सहरे-नौ की मुबारक हो वतन को पामाले –… Read More »त्रिलोकचन्द महरूम की रचनाएँ
बस्ता बस्ता बहुत भारी था ढोते-ढोते एक महीने में बेटी का वज़न घट गया इंग्लिश स्कूल के स्टैंडर्ड फर्स्ट में पढ़ते-पढ़ते दो बार लगाई गई… Read More »त्रिलोक महावर की रचनाएँ
विदेशी वस्त्र सितमगर की हस्ती मिटानी पड़ेगी, हमें अपनी करके दिखानी पड़ेगी। कभी उफ़ न लाएंगे अपनी जुबां पर, मुसीबत सभी कुछ उठानी पड़ेगी। बहुत… Read More »त्रिभुवन नाथ आज़ाद ‘सैनिक’ की रचनाएँ
बेचारा आम आदमी गाँधी जी के तीन बंदरतीनो मेरे अन्दरकुलबुलाते हैंबुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहोपर देखता हूँ, सुनता हूँ, कहता हूँI… Read More »त्रिभवन कौल की रचनाएँ
आज़ादी जुबां तुम काट लो या फिर लगा दो होंठ पर ताले मिरी आवाज़ पर कोई भी पहरा हो नहीं सकता मुझे तुम बन्द कर… Read More »त्रिपुरारि कुमार शर्मा की रचनाएँ
अभी-अभी अभी-अभी एक शब्द जनमा उस बच्चे के मुँह से माँ से जनमी एक पूरी भाषा समृद्ध अभी-अभी यह समय था तुम्हारा अब हुआ किसी… Read More »शहंशाह आलम की रचनाएँ
क्षणिकाएँ बोरसी पुसोॅ मेॅ कोहोॅ के आगू रात भर डरी-डरी जलै छै बोरसी सोची केॅ सब केॅ जाड़ोॅ सेॅ बचौइयै कि खुद केॅ । परिवार… Read More »अमन चाँदपुरी की रचनाएँ