शशिकान्त गीते की रचनाएँ
गूलर के फूल कथित रामप्यारे ने देखे सपने में गूलर के फूल। स्वर्ण महल में पाया ख़ुद को रेशम के वस्त्रों में लकदक रत्नजड़ित झूले… Read More »शशिकान्त गीते की रचनाएँ
गूलर के फूल कथित रामप्यारे ने देखे सपने में गूलर के फूल। स्वर्ण महल में पाया ख़ुद को रेशम के वस्त्रों में लकदक रत्नजड़ित झूले… Read More »शशिकान्त गीते की रचनाएँ
अब तो सच बात बता दी जाये अब तो सच बात बता दी जाये, वो रिदा क्यों न हटा दी जाये आँखो को मुट्ठियों में… Read More »ज्ञान प्रकाश पाण्डेय की रचनाएँ
प्रेम को बचाते हुए मैंने उसे एक चिट्ठी लिखी जिसमें नम मिट्टी के साथ मखमली घास थी घास पर एक टिड्डा बैठा था पूरी हरियाली… Read More »ज्ञान प्रकाश चौबे की रचनाएँ
जाओ बादल जाओ बादल, तुम्हें मरुस्थल बुला रहा है। वेणुवनों की वल्लरियाँ अब पुष्पित होना चाह रहीं हैं, थकी स्पृहायें शीतलता में जी भर सोना… Read More »ज्ञान प्रकाश आकुल की रचनाएँ
इंसानियत का आत्मकथ्य गुज़रती रही सदियाँ बीतते रहे पल आए कितने ही दलदल पर झेल सब कुछ अब तक अड़ी हूँ मैं ! अटल खड़ी हूँ… Read More »अनुपमा पाठक की रचनाएँ
कुछ शब्दों की लौ सी सृष्टि का एक भाग अंधकारमय करता हुआ, विधि के प्रवर्तन से बंधा जब डूबता है सूरज सागर की अतल गहराइयों… Read More »अनुपमा त्रिपाठी की रचनाएँ
आदमी के अन्दर रहता है एक और आदमी आदमी के अन्दर रहता है एक और आदमी रहते हैं दोनों साथ-साथ पर खूब झगड़ते हैं चलते… Read More »अनुपमा तिवाड़ी की रचनाएँ
किस देस चलूँ मौला किस राह चलूँ, किस देस चलूँ मौला राम कहूँ या रहीम कहूँ, किस भेस छलूँ मौला!!! सदयुग, द्वापर, त्रेता सब युग… Read More »अनुपमा चौहान की रचनाएँ
हम औरतें हैं मुखौटे नहीं वह अपनी भट्ठियों में मुखौटे तैयार करता है उन पर लेबुल लगाकर, सूखने के लिए लग्गियों के सहारे टाँग देता… Read More »अनुपम सिंह की रचनाएँ
हाँ! मैं कविता लिख देता हूँ! हाँ! मैं कविता लिख देता हूँ! जब दिल में रखी कोई बात बहुत दिनों के बाद सुलगाने लगे मेरे… Read More »अनुपम कुमार की रचनाएँ