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Hindi

जगजीवन की रचनाएँ

यह नगरी महँ परिऊँ भुलाई यह नगरी महँ परिऊँ भुलाई। का तकसीर भई धौं मोहि तें, डारे मोर पिय सुधि बिसराई॥ अब तो चेत भयो… Read More »जगजीवन की रचनाएँ

‘जिगर’ बरेलवी की रचनाएँ

आह हम हैं और शिकस्ता-पाइयाँ आह हम हैं और शिकस्ता-पाइयाँ अब कहाँ वो बादिया-पैमाइयाँ जोश-ए-तूफाँ है न मौंजों का ख़रोश अब लिए है गोद में… Read More »‘जिगर’ बरेलवी की रचनाएँ

ज़िया’ ज़मीर की रचनाएँ

देखी नहीं, सुनी नहीं ऐसी वफ़ा कि यार बस ‎ देखी नहीं सुनी नहीं ऐसी वफ़ा कि यार बस वादे पे मेरे शख़्स वो ऐसे… Read More »ज़िया’ ज़मीर की रचनाएँ

‘ज़हीर’ देहलवी की रचनाएँ

ऐ मेहर-बाँ है गर यही सूरत निबाह की ऐ मेहर-बाँ है गर यही सूरत निबाह की बाज़ आए दिल लगाने से तौबा गुनाह की उल्टे… Read More »‘ज़हीर’ देहलवी की रचनाएँ

ज़फ़र’ मुरादाबादी की रचनाएँ

बढ़े कुछ और किसी इल्तिजा से कम न हुए ‎ बढ़े कुछ और किसी इल्तिजा से कम न हुए मेरी हरीफ़ तुम्हारी दुआ से कम… Read More »ज़फ़र’ मुरादाबादी की रचनाएँ

‘ज़फ़र’ इक़बाल की रचनाएँ

अभी आखें खुली हैं और क्या क्या अभी आखें खुली हैं और क्या क्या देखने को मुझे पागल किया उस ने तमाशा देखने को वो… Read More »‘ज़फ़र’ इक़बाल की रचनाएँ

माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएँ

एक तुम हो गगन पर दो सितारे: एक तुम हो, धरा पर दो चरण हैं: एक तुम हो, ‘त्रिवेणी’ दो नदी हैं! एक तुम हो,… Read More »माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएँ

महेश सन्तोषी की रचनाएँ

इन्कलाब के मायने तक भूल गये लोग किधर गयीं वे बस्तियाँ, वे शहर, वे लोग? अब तो इन्कलाब के माइने तक भूल गये लोग? ये… Read More »महेश सन्तोषी की रचनाएँ

महेश सन्तुष्टकी रचनाएँ

भाषा मैंने भोंकने वाले जानवरों की भाषा में एक ही लय देखी है। और देखा है चिन्तकों को मूक भाषा में बातें करते। मैंने घरों… Read More »महेश सन्तुष्टकी रचनाएँ

महेश वर्मा की रचनाएँ

चेहरा पता नहीं तुम कितने अन्तिम संस्कारों में शामिल हुए कितनी लाशें देखी लेकिन फिर ज़ोर देता हॅूँ इस पर कि मृत्यु इंसान का चेहरा… Read More »महेश वर्मा की रचनाएँ