सुधीर विद्यार्थी’की रचनाएँ
नदी एक जानवर ज़रूरत भर पानी पी रहे हैं नदी से चिड़िया चोंच भर पीती हैं मछलियाँ और मगरमच्छ गलफड़े भर कर वृक्ष सोखते हैं… Read More »सुधीर विद्यार्थी’की रचनाएँ
नदी एक जानवर ज़रूरत भर पानी पी रहे हैं नदी से चिड़िया चोंच भर पीती हैं मछलियाँ और मगरमच्छ गलफड़े भर कर वृक्ष सोखते हैं… Read More »सुधीर विद्यार्थी’की रचनाएँ
त्रिपथगा-1 निकल स्वर्ग से पृथ्वी पर नीचे प्रवाहमयी जाना पताल तीन तलों का घर जिसका घर भी ऎसा जिसमें आना जाना जिससे पाहुन जैसे पर… Read More »सुधीर मोता ’की रचनाएँ
डिजिटल होते भारत में दुनिया रही बदल पर डिजिटल होते इस भारत में औरत खींच रही है हल ! यह सदियों की पीर रही है औरत… Read More »सुधांशु उपाध्याय ’की रचनाएँ
ऊँट रोज़ सवेरे कितने ऊँट, पीठ लाद ढेरांे तरबूज़। धीरे-धीरे कहाँ चले, जब पहुँचेंगे पेड़ तले- गर्दन ऊँची कर खाएँगे, कड़वी नीम चबा जाएँगे। मालिक… Read More »सुधा चौहान ’की रचनाएँ
जस्ट टियर्स [ इस लम्बी कविता में दर्ज़ लोग और भूगोल, दर्द और दिक्क़तें नई नहीं हैं, नया है वह कहन, जिसे व्योमेश शुक्ल अपनी… Read More »व्योमेश शुक्ल ’की रचनाएँ
अंधेरा मेरे लिए रहती है रोशनी लेकिन दिखता है अंधेरा तो कसूर अंधेरे का तो नहीं हुआ न! और न रोशनी का! किसका कसूर? जानने… Read More »वेणु गोपाल ’की रचनाएँ
नन्हा पौधा एक बीज था गया बहुत ही, गहराई में बोया उसी बीज के अंतर में था नन्हा पौधा सोया उस पौधे को मंद पवन… Read More »वेंकटेश चन्द्र पाण्डेय ’की रचनाएँ
आगे चले चलो अपवाद भय या कीर्ति प्रेम से निरत न हो, यदि ख़ूब सोच-समझ कर मार्ग चुन लिया। प्रेरित हुए हो सत्य के विश्वास,… Read More »वृन्दावनलाल वर्मा ’की रचनाएँ
वृन्द के दोहे / भाग १ नीति के दोहे रागी अवगुन न गिनै, यहै जगत की चाल । देखो, सबही श्याम को, कहत ग्वालन ग्वाल… Read More »वृन्द ’की रचनाएँ
प्रीतम तुम मो दृगन बसत हौ प्रीतम तुम मो दृगन बसत हौ। कहा भरोसे ह्वै पूछत हौ, कै चतुराई करि जु हंसत हौ॥ लीजै परखि… Read More »वृंदावनदास’की रचनाएँ