अफ़ज़ाल अहमद सय्यद की रचनाएँ
बहुत न हौसला-ए-इज़्ज़-ओ-जाह मुझ से हुआ बहुत न हौसला-ए-इज़्ज़-ओ-जाह मुझ से हुआ फ़क़त फ़राज़-ए-नगीन-ओ-निगाह मुझ से हुआ चराग़-ए-शब ने मुझे अपने ख़्वाब में देखा सितारा-ए-सहरी… Read More »अफ़ज़ाल अहमद सय्यद की रचनाएँ
बहुत न हौसला-ए-इज़्ज़-ओ-जाह मुझ से हुआ बहुत न हौसला-ए-इज़्ज़-ओ-जाह मुझ से हुआ फ़क़त फ़राज़-ए-नगीन-ओ-निगाह मुझ से हुआ चराग़-ए-शब ने मुझे अपने ख़्वाब में देखा सितारा-ए-सहरी… Read More »अफ़ज़ाल अहमद सय्यद की रचनाएँ
गिर पड़ा तू आख़िरी ज़ीने का छू कर किस लिए गिर पड़ा तू आख़िरी ज़ीने का छू कर किस लिए आ गया फिर आसमानों से… Read More »अफ़ज़ल मिनहास की रचनाएँ
आई थी उस तरफ़ जो हवा कौन ले गया आई थी उस तरफ़ जो हवा कौन ले गया ख़ाली पड़ा है ताक़ दिया कौन ले… Read More »अफ़ज़ल गौहर राव की रचनाएँ
तीन बार कहना विदा भोर के जामुनी एकांत मे जब रात का थका-हारा उनींदा शुक्रतारा टूट कर गिरने को होगा अपनी नींद की भंवर मे… Read More »अपूर्व शुक्ल की रचनाएँ
मिनौती हर नारी मिनौती है.. यहाँ दृश्य अरुणाचल का है, इसलिए बाँस, धान, सूरज, सीतापुष्प, पहाड़ के बिम्ब भी उसी प्रदेश के हैं। बरई, न्यिओगा… Read More »अपर्णा भटनागर की रचनाएँ
प्रेत-ग्राम वो डूबता दिन.. कैसा लाल होता था.. ठीक मेरी बाईं ओर.. दूर उस गाँव के पीठ पीछे जा छुपता था सूरज.. तनिक सा झाँक… Read More »अपर्णा अनेकवर्णा की रचनाएँ
जोगी 1. मैंने हाथ से कहा मिला लो हाथ आँख से कहा देख लो धरती आसमान कान से कहा सुन लो सारे सुर-ताल रोम-रोम से… Read More »अनूप सेठी की रचनाएँ
जाने सूरज जलता क्यों है जाने सूरज जलता क्यों है इतनी आग उगलता क्यों है रात हुई तो छुप जाता है अंधियारे से डरता क्यों… Read More »अनूप भार्गव की रचनाएँ
आवाजों के खो जाने का दुख कितना आस-पास की आवाज़ों के खो जाने का दुख कितना। खालीपन कितना-कितना? बाँस-वनों के साँय-साँय सन्नाटों-सा सब डूबा-डूबा, खुद… Read More »अनूप अशेष की रचनाएँ
सिंदूर किसी ढलती शाम को सूरज की एक किरण खींच कर मांग में रख देने भर से पुरुष पा जाता है स्त्री पर सम्पूर्ण अधिकार|… Read More »अनुलता राज नायर की रचनाएँ