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बालकृष्ण गर्ग की रचनाएँ

कानाबाती कुर्र मेढक बोले टर्र, बर्राती है बर्र । जूता बोले चर्र, मोटर चलती घर्र । मम्मी सोतीं खर्र, पापा जाते डर्र । चिड़िया उडती… Read More »बालकृष्ण गर्ग की रचनाएँ

बालकवि बैरागी की रचनाएँ

शिशुओं के लिए पाँच कविताएँ-1 1. तितली करती ताथा थैया, भँवरा करता गुन गुन गुन । खिलकर हँसते फूल हमेशा, कलियाँ कहतीं हमे न चुन… Read More »बालकवि बैरागी की रचनाएँ

बाल गंगाधर ‘बागी’की रचनाएँ

हिसाब बराबरी का ज़माना मेरी नज़र से गुजरा, मैं ज़माने में मगर अछूत रहा, अपने ही घराने में हजारों साल से, कुछ लोगों ने मिटाना… Read More »बाल गंगाधर ‘बागी’की रचनाएँ

बाबूलाल शर्मा ‘प्रेम’की रचनाएँ

फूलों का संसार बड़े सवेरे जब खिलते बेला, गुलाब, कचनार, मुझे बहुत प्यारा तब लगता फूलों का संसार! गेंदा, चंपा और चमेली महकी-महकी हैं अलबेली,… Read More »बाबूलाल शर्मा ‘प्रेम’की रचनाएँ

बाबूलाल मधुकर की रचनाएँ

तुम्हारे नाम तुम्हारी अर्चना कर सकूँ तुम्हारी वन्दना कर सकूँ ऐसा कोई विश्वास तो तुमने दिया नहीं! अपनी वंशावली और भौगोलिक सीमा-सुरक्षा का ध्यान रखकर… Read More »बाबूलाल मधुकर की रचनाएँ

बाबूलाल भार्गव ‘कीर्ति’की रचनाएँ

मदारी जल्दी चलो, मदारी आया, संग बहुत सी चीजें लाया। डमरू अब है लगा बजाने, भीड़ जोड़कर खेल जमाने। देखो साँप नेवला कैसे लड़ते, बड़े… Read More »बाबूलाल भार्गव ‘कीर्ति’की रचनाएँ

बाबूराम शर्मा ‘विभाकर’की रचनाएँ

भुलक्कड़ राम दिल्ली के रहने वाले अजब भुलक्कड़ राम जी, खाना खाना भूल गए करते हैं आराम जी! जब उनको फिर भूख लगी हलवे का… Read More »बाबूराम शर्मा ‘विभाकर’की रचनाएँ

बाबू महेश नारायण की रचनाएँ

थी अन्धेरी रात, और सुनसान था थी अन्धेरी रात और सुन्सान था, और फैला दूर तक मैदान था; जंगल भी वहाँ था, जनवर का गुमाँ… Read More »बाबू महेश नारायण की रचनाएँ

बाबुषा कोहली की रचनाएँ

चार तिलों की चाहत और एक बिन्दी लाल ये किसकी इच्छा के अश्रु हैं जो इस गोरी देह पर निर्लज्जता से जमे हुए काले पड़… Read More »बाबुषा कोहली की रचनाएँ

बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि की रचनाएँ

पद / 1 क्यों बृथा दोष पिया को लगावत। तो हित चन्द्रमुखी चातक बनि परसन कूँ नित चाहत॥ हैं बहु नारि रसीली ब्रज में वातो… Read More »बाघेली विष्णुप्रसाद कुवँरि की रचनाएँ