लक्ष्मी नारायण सुधाकर
जहाँ तक सवाल है जहाँ तक सवाल है शोषितों के हाल का फँसे हुए सदियों से शोषकों के जाल में निगल न पाये पर छोड़… Read More »लक्ष्मी नारायण सुधाकर
जहाँ तक सवाल है जहाँ तक सवाल है शोषितों के हाल का फँसे हुए सदियों से शोषकों के जाल में निगल न पाये पर छोड़… Read More »लक्ष्मी नारायण सुधाकर
मोर घटा देख मस्ताना मोर खुश होता दीवाना मोर राजा-सा सिर मुकुट सजा लगता बहुत सुहाना मोर सिर पर कृष्ण लगाते पंख उनका मीत पुराना… Read More »लक्ष्मी खन्ना सुमन की रचनाएँ
ये सफ़र ज़ीस्त का आसान बनाने वाला ये सफ़र ज़ीस्त का आसान बनाने वालाकौन मिलता है यहाँ रिश्ते निभाने वाला है सदाकत की डगर का… Read More »शुचि ‘भवि’की रचनाएँ
और क्या इस शहर में धंधा करें ख़्वाब इतने हैं यही बेचा करें और क्या इस शहर में धंधा करें क्या ज़रा सी बात का… Read More »शुजाअ खावर की रचनाएँ
वन्दना वन्दना माँ! मुझे तुम लोक मंगल साधना का दान दो, शब्द को संबल बनाकर नील नभ सा मान दो। नित करूं पूजन तुम्हारा प्राण… Read More »शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान की रचनाएँ
अर्थ खोते जा रहे हैं शब्द खोखे डुगडुगी हैं अर्थ खोते जा रहे हैं शौर्य की पनडुब्बियों को शेर खेते थे कभी भट्टियों की धौंकनी… Read More »शीला पाण्डेय की रचनाएँ
गंगा की पुकार एक सुर में राग ये छिड़ने दे मुझको मलिन मत होने दे बहने दे, बहने दे मुझे अविरल-अविरल बहने दे मैं गंगा….।… Read More »शीला तिवारी की रचनाएँ
मेरे खिलौने मेरे खिलौने हैं अनमोल, कोई लंबे, कोई हैं गोल। कुत्ता, बंदर भालू, शेर, मिट्टी के ये पीले बेर। इक्का, साइकिल, टमटम, ट्रेन, रंग-बिरंगी… Read More »शीला गुजराल की रचनाएँ
उर्वर धरती गति में प्रगति प्रगति में जीवन जीवन में नव जीवन भरती मेरे गीत उजागर करती बाँझ नहीं यह उर्वर धरती। राह हारी मैं… Read More »शील की रचनाएँ
वो कहाँ चश्मे-तर में रहते हैं वो कहाँ चश्मे-तर में रहते हैं ख़्वाब ख़ुशबू के घर में रहते हैं शहर का हाल जा के उनसे… Read More »शीन काफ़ निज़ाम की रचनाएँ