अनिल कार्की की रचनाएँ
पलटनिया पिता-1 फौजी पिता अख़बारों में मिले हमने सीने फुलाए दिखती थी छब्बीस जनवरी को उनकी टुकड़ी दूरदर्शन पर राजपथ की धुन्ध में क़दमताल करती… Read More »अनिल कार्की की रचनाएँ
पलटनिया पिता-1 फौजी पिता अख़बारों में मिले हमने सीने फुलाए दिखती थी छब्बीस जनवरी को उनकी टुकड़ी दूरदर्शन पर राजपथ की धुन्ध में क़दमताल करती… Read More »अनिल कार्की की रचनाएँ
रोशनी बार-बार लौटा हूँ उस दर से जहॉँ मुझे नहीं जाना चाहिए था वहाँं कभी पहुँच नहीं पाया जहाँ मेरी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी उन… Read More »अनिल करमेले की रचनाएँ
मानवीय पीड़ा का ज़िगुरत हमारे बहुत पहले उठने केबहुत पहले उठ जाती है,ताकि खलल न पड़ेहमारे आराम देह सपने रहेंसुरक्षित। आधी नींद व विच्छिन्न स्वप्नों… Read More »अनिल अनलहातु की रचनाएँ
सहरा उदास है न समन्दर उदास है सहरा उदास है न समन्दर उदास हैआँखों के सामने का ये मंज़र उदास है रोया तमाम रात किसी… Read More »अनिरुद्ध सिन्हा की रचनाएँ
वरदान चाहियो हमरा देशोॅ के उत्थान चाहियोॅप्रभु यहेॅ विमल वरदान चाहियोॅ। हर गीत यहाँ पर टूटलोॅ छैहर साज यहाँ बिखरलोॅ छैअपने लोगोॅ के भीतर घात… Read More »अनिरुद्ध प्रसाद विमल की रचनाएँ
फुलबसिया फुलबसिया फुलबसियाउतर गईखेतों मेंहाथों में लेकर हँसियाफुलबसिया की कायासाँवली अमा हैचमक रहा हाथों मेंकिन्तु चन्द्रमा हैयह चन्द्रमादूध-भातक्या देगा बच्चों कोलाएगा पेज और पसियाफुलबसियापल्लू को… Read More »अनिरुद्ध नीरव की रचनाएँ
झूलता स्वप्न आकाश से उतरा एक झूला कमरे की छत पर उसमें एक हरा तोता एक कव्वा पुष्प पारिजात के भीतर से मैंने कहा ‘ये… Read More »अनिरुद्ध उमट की रचनाएँ
दोहे भौंचक्की सी जूलिएट, कैसे देखे ख़्वाब। दिखा आज जब रोमियो, लिए हुए तेज़ाब॥ चाल अजब है प्रेम की, खो कर ही मिल पाय। छाप… Read More »अनिमेष मुखर्जी की रचनाएँ
मन्नत का धागा प्रेम का धागा लपेट दिया है मैनें तुम्हारे चारों ओर.… तुम्हारा नाम पढ़ते हुए… तुमसे ही छुपा कर! और बाँध दी अपनी… Read More »अनिता ललित की रचनाएँ
उड़ान उसे कितना भी बाँधो घर-बार के खूँटे से भांड- बर्तन, कपड़े- लत्ते प्यार- स्नेह के बन्धन से या फिर अपनी उदीप्त अभिशप्त आलिंगन में,… Read More »अनिता भारती की रचनाएँ