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हरिओम राजोरिया की रचनाएँ

लाठी लाठियाँ बजाने पर भी कविता होनी चाहिए कहाँ-कहाँ बजी लाठी किस-किस पर बजी देश भर में बजी ग़रीब-ग़ुरबों पर बजती आई है ग़रीब -ग़ुरबों… Read More »हरिओम राजोरिया की रचनाएँ

‘अख्तर’ शीरानी की रचनाएँ

ऐ दिल वो आशिक़ी के ऐ दिल वो आशिक़ी के फ़साने किधर गए वो उम्र क्या हुई वो ज़माने किधर गए वीराँ हैं सहन-ओ-बाग़ बहारों… Read More »‘अख्तर’ शीरानी की रचनाएँ

हंसराज ‘रहबर’ की रचनाएँ

तबीयत में न जाने ख़ाम बढ़ाता है तमन्‍ना आदमी आहिस्‍ता आहिस्‍ता गुज़र जाती है सारी ज़िंदगी आहिस्‍ता आहिस्‍ता अज़ल से सिलसिला ऐसा है गुंचे फूल… Read More »हंसराज ‘रहबर’ की रचनाएँ

अख़्तर यूसुफ़ की रचनाएँ

शाम और मज़दूर-1 शाम और मज़दूर खेतों के सब्ज़ सन्नाटे से गुज़र रहे हैं बालियाँ खड़ी हैं शाएँ-शाएँ हलका-सा कहीं-कहीं पे होता है गाँव के… Read More »अख़्तर यूसुफ़ की रचनाएँ

अख्तर पयामी की रचनाएँ

आवारा  ख़ूब हँस लो मेरी आवारा-मिज़ाजी पर तुम मैं ने बरसों यूँ ही खाए हैं मोहब्बत के फ़रेब अब न एहसास-ए-तक़द्दुस न रिवायत की फ़िक्र… Read More »अख्तर पयामी की रचनाएँ

अख़्तर नाज़्मी की रचनाएँ

लिखा है… मुझको भी लिखना पड़ा है लिखा है….. मुझको भी लिखना पड़ा है जहाँ से हाशिया छोड़ा गया है अगर मानूस है तुम से… Read More »अख़्तर नाज़्मी की रचनाएँ

हरीशचन्द्र पाण्डे की रचनाएँ

कविता संग्रह भूमिकाएँ खत्म नहीं होतीं एक दिन में  दन्त्य ‘स’ को दाँतों का सहारा जितने सघन होते दाँत उतना ही साफ़ उच्चरित होगा ‘स’… Read More »हरीशचन्द्र पाण्डे की रचनाएँ

अख़्तर अंसारी की रचनाएँ

साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैंमुँह से कहते हुए ये बात मगर डरते… Read More »अख़्तर अंसारी की रचनाएँ

अखिलेश्वर पांडेय की रचनाएँ

एक दिन  मैं तुम्हारे शब्दों की उंगली पकड़ कर चला जा रहा था बच्चे की तरह इधर-उधर देखता हंसता, खिलखिलाता अचानक एक दिन पता चला… Read More »अखिलेश्वर पांडेय की रचनाएँ

अखिलेश श्रीवास्तव की रचनाएँ

कविता  एक वक्रोक्ति ने टेढ़ी कर दी है सत्ता की जुबान एक बिम्ब ने नंगा कर दिया है राजा को! ढ़ोल नगाड़ो और चाक चौबंद… Read More »अखिलेश श्रीवास्तव की रचनाएँ